सोजत दुर्ग की पुरी जानकारी History of Sojat Fort in Hindi

सोजत दुर्ग Sojat Fort

सोजत दुर्ग का निर्माण राव जोधा के पुत्र नीम्बा ने सन् 1460 में कराया था

Sojat Fort जोधपुर और मेवाड़ के बीच ‘नानी सीरड़ी’ नाम की डूंगरी पर मारवाड़ की सीमा पाली राजस्थान  ( भारत ) में स्थित है!

सोजत दुर्ग का परिचय Introduction to Sojat Durg –

दुर्ग नामसोजत दुर्ग
निर्माण करवायानीम्बा द्वारा
स्थाननानी सीरड़ी नाम की डूंगरी पर
जिलापाली राजस्थान
निर्माण सन1460
सोजत में प्रसिद्धसोजत की मेहंदी
Sojat durg history in hindi

सोजत का यह दुर्ग जोधपुर और मेवाड़ के बीच ‘नानी सीरड़ी’ नाम की डूंगरी पर मारवाड़ और मेवाड़ की सीमा पर है ! राव जोधा के पुत्र नीम्बा ने इसका निर्माण सन् 1460 के आसपास कराया था ! सूकड़ी नदी के किनारे पर बसा सोजत (शुधदंती) कस्बा बहुत ही प्राचीन स्थल है ! जो प्राचीनकाल में ‘तांबावती’ (त्रंबावती) नगर के रूप में प्रसिद्ध था !

Sojat में मानव सभ्यता के प्रारंभिक काल के आदिमानव द्वारा प्रयोग किये जाने वाले ताम्र उपकरण और हथियार मिले हैं ! कुछ ऐसा कहा जाता है कि तांबावती पर प्राचीन समय में परमार शासकों का अधिकार रहा था !  बाद में इसके उजड़ जाने पर हूल क्षत्रियों ने विक्रम सम्वत 1111 (सन् 1054) के आस पास  इसे सेजल माता के नाम से पुन: बसाया गया ! तब से इसका नाम सेजल से सोजत पड़ा था ! इस सोजत दुर्ग में होली के पावन पर्व पर गैर नृत्य का आयोजन होता है और यहां पर विशाल मेला भी भरता है !

सोजत किले पर बादशाह अकबर का अधिकार Sojat Fort in hindi

सोजत दुर्ग को बाद में मेवाड़ के राणा ने सोनगरा एवं सींघलों को सौंप दिया सोनगरा राजा रावल कान्हड़दे का राज भी सोजत दुर्ग पर रहा ! फिर बाद में राणा ने राव रिड़मलसिंह को मंडोर के साथ सोजत भी दे दिया ! यहां राजा पृथ्वीराज चौहान और नाहड राव पंवार मधो लहर की वेढ़ के बाद सोलंकी राजा भींवदे, और सिंघलों का राज रहा सन 1621 में आखिर अकबर का अधिकार सोजत पर हो गया ! 1664 के अंदर जहांगीर ने इसे करम सेन उग्र से नोत को दे दिया !

महाराजा विजय सिंह के समय मे सोजत में कई निर्माण कराये ! बात सोजत रा परंगना री में मुहंणोत नैणसी ऐसा लिखता है कि छोटी सी भाकरी के उपर छोटा सा कोट है ! जिसमें साधारण से मकान है ! राजा गजसिंह के समय एक घर नया बनवाया यहां वीरमदे बाधावत देवस्वरूप हुआ जिसका देवला बना हुआ है ! घोड़े बांधने के लिए अलग-अलग स्थान बनाए हुए है जिनको हम साधारण भाषा में पायगा कहते  है ! घरों के बाहर दरबार बैठने का चबूतरा भी बना हुआ है ! 

सोजत दुर्ग पर आक्रमण Attack on Sojat Fort

पौराणिक इतिहास के अनुसार हूल क्षत्रियों के बाद में सोजत पर जालौर के सोनगरा चौहानों का अधिकार रहा था ! इसके बाद में इस सोजत दुर्ग पर सींधलों का अधिकार हो गया !  मंडोर के राठौड़ शासक राव रणमल (जोधपुर के संस्थापक राव जोधासिंह के पिता) ने सिंधलों को हराकर सोजत दुर्ग पर अपना अधिकार कर लिया था ! और  राव रणमल की मृत्यु के बाद कुछ समय के लिए सोजत दुर्ग पर मेवाड़ के महाराणा कुंभा का भी आधिकार रहा था !

सन् 1455 ई. (विक्रम सम्वत 1512) में राव जोधा ने मेवाड़ से सोजत दुर्ग को वापस छीन लिया गया ! और उसने अपने बड़े बेटे नीम्बा को सोजत की पूरी जागीर दे दी ! नीम्बा ने नानी-सीरड़ी डूंगरी पर विक्रम संवत 1517 (ईस्वी सन् 1460) में वर्तमान के सोजत दुर्ग का निर्माण करवाया !  नीम्बा के बाद में जोधपुर की गद्दी पर राव गंगा सिंह बैठा और उसके भाई वीरमदेव को सोजत की जागीर दे दी गई !

कुछ समय बाद में राव गंगा सिंह ने सोजत दुर्ग पर पूर्णत अधिकार कर लिया और बाद में जोधपुर के शासक राव मालदेव ने इस दुर्ग के चारों ओर बड़ी बड़ी दीवारे जिनको हम साधारण बोल चाल में परकोटा कहते है, इनका निर्माण करवाया था ! जिससे दुर्ग और भी अधिक मजबूत हो गया !  ‘जोधपुर राज्य री ख्यात’ में राव मालदेव को दुर्ग का निर्माणकर्ता बताया गया है ! ऐसा बताया गया है की राव मालदेव ने ही सोजत दुर्ग का निर्माण करवाया था ! 

  • इस सोजत दुर्ग पर मारवाड़ के स्वाभिमानी वीर पराक्रमी और स्वतंत्रता प्रिय राव चन्द्रसेन का भी आधिकार रहा था

Sojat Durg में वैसे देखने के लिए बहुत कुछ खास है ही लेकिन कुछ अति महत्वपूर्ण है जिसके बारे में हम आपको बता रहे है ! इसमे दरीखाना सुंदर महल,तबेला,जनानी ड्योढ़ी और तालाब बने हुए है  इस दुर्ग के अंदर स्थित एक मुख्य भवन हैं ! शासक राम ने इस दुर्ग में रामेलाव तालाब का निर्माण करवाया, जोधपुर के महाराजा विजयसिंह ने सोजत के इस दुर्ग की पूरी मरम्मत वापस करवाई थी !

सोजत की प्रसिद्ध मेहंदी Famous Mehndi of Sojat

सोजत प्राचीन ऐतिहासिकता और धार्मिकता की नगरी तो है ही इसके साथ-साथ ही धार्मिक आस्था के लिए जाना जाता है ! परंतु सोजत की मेहंदी के कारण सोजत अन्तराष्ट्रीय स्तर के मानचित्र पर भी छवि बनाए हुए है ! और सोजत की मेहंदी इतनी राचनी है की इसका मुकाबला कोई भी और कहीं की मेहंदी नहीं कर सकती ! ऐसा माना जाता है की सोजत की मिट्टी और मेहंदी का तालमेल बहुत अच्छा है ! इसलिए यहां पर मेंहदी की पैदावार बहुत अच्छी होती है ! और इतनी अच्छी गुणवत्ता की मेहंदी होने के कारण वर्तमान में अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुकी है !

हमारे देश भारत के साथ साथ विदेशो में भी इसकी बहुत ज्यादा मांग रहती है ! इतनी अच्छी पैदावार और गुणवता की दृष्टि से अच्छी होने के कारण इसके भाव भी अच्छे मिलते है इसलिए वहा के किसान भी साधन संपन्न है ! दोस्तों अगर आप कभी सोजत जाते है तो वाहा स्थित सोजत दुर्ग को जरुर देखे और ! हमे कमेन्ट में जरुर बातये की वह किला आपको पसंद आया क्या ! एक बात और सोजत से अपने परिवार के लिए मेहंदी लाना मत भूलना ऐसा है सोजत !


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People also ask about sojat durg –

  1. सोजत का क्या प्रसिद्ध है?

    Sojat प्राचीन ऐतिहासिकता और धार्मिकता की नगरी तो है ही इसके साथ-साथ ही धार्मिक आस्था के लिए जाना जाता है ! परंतु सोजत की मेहंदी के कारण सोजत अन्तराष्ट्रीय स्तर के मानचित्र पर भी छवि बनाए हुए है ! और सोजत की मेहंदी इतनी राचनी है की इसका मुकाबला कोई भी और कहीं की मेहंदी नहीं कर सकती !

  2. सोजत का युद्ध कब हुआ?

    महाराजा विजय सिंह के समय मे सोजत में कई निर्माण कराये ! बात सोजत रा परंगना री में मुहंणोत नैणसी ऐसा लिखता है कि छोटी सी भाकरी के उपर छोटा सा कोट है ! जिसमें साधारण से मकान है ! राजा गजसिंह के समय एक घर नया बनवाया यहां वीरमदे बाधावत देवस्वरूप हुआ जिसका देवला बना हुआ है !

  3. पाली जिले में कौन सा किला है?

    सोजत दुर्ग का निर्माण राव जोधा के पुत्र नीम्बा ने सन् 1460 में कराया था Sojat Fort जोधपुर और मेवाड़ के बीच ‘नानी सीरड़ी’ नाम की डूंगरी पर मारवाड़ की सीमा पाली राजस्थान  ( भारत ) में स्थित है!

  4. सोजत दुर्ग का निर्माण किसने और कब करवाया था?

    Sojat Durg का निर्माण राव जोधा के पुत्र नीम्बा ने सन् 1460 में कराया था

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