Shahabad durg शाहाबाद दुर्ग बांरा का इतिहास

Shahabad durg शाहाबाद दुर्ग बांरा का इतिहास

नमस्कार दोस्तोंआज हम राजस्थान राज्य के बारां जिले में स्थित Shahabad durg शाहाबाद दुर्ग के इतिहास के बारे में विस्तार से जानेगे 

बांरा का दुर्ग शाहाबाद का परिचय Shahabad durg / Shahabad durg Banra

  • पूरा नाम –  शाहाबाद दुर्ग बांरा राजस्थान (Shahabad durg)
  • श्रेणी – गिरी दुर्ग
  • निर्माण – यह दुर्ग परमारों का बनवाया गया माना जाता है
  • निर्माण हुआ – 9 वीं शताब्दी
  • जिला – बारां
  • राज्य – राजस्थान ( भारत )
  • शाहबाद किला बारां शहर से 80 किमी दूर है इस दुर्ग में रखी विशाल तोप “नवल बाण” है !

Shahabad durg शाहाबाद दुर्ग एक ही दुर्ग है जो मुकुंदरा पर्वत श्रेणी की भामती पहाड़ी पर बना है ! मुगल बादशाह औरंगजेब अपनी दक्षिण यात्रा के समय इस दुर्ग का उपयोग विश्राम स्थल के लिए करता था ! मुगलों के शासन काल में इस दूर्ग का वर्तमान नाम शाहबाद पड़ा था और शाहबाद दुर्ग दोनो और से ! “कुंडाखोह”नामक गहरे प्राकृतिक झरने से और तीसरी और तालाब से घिरा हुआ है !

चतुर्दिक घना जंगल इसे और भी अधिक अवैध और दुर्गम बना रहा है ! मुगल शैली से बने इस शाहाबाद दुर्ग का इतिहास हमीर वंशीय राजाओं से जुड़ा हुआ है ! फिर बाद में राजा मुकुटमणी देव हुए. इन्होंने 16 वीं सदी (1512 ई.) ! में घाटी के ऊपर किले Shahabad durg का निर्माण करवाया गया था !

शाहाबाद दुर्ग बांरा का इतिहास History of Shahabad durg Banra in hindi

बारां के शाहाबाद दुर्ग में इतिहास को अपने गर्भ में समेटे जिले के शाहबाद का ऐतिहासिक किला है ! जो की संरक्षण की कमी में जीर्ण-शीर्ण हो रहा है ! देख-रेख की कमी में ऐतिहासिक किला अपनी पहचान ही खो रहा है शाहाबाद के ऐतिहासिक किले में स्थित छतरियां,महल, बावड़ियां तो अब खंडर के रूप में बदल चुके हैं ! कस्बे को हैरिटेज का दर्जा तो मिला लेकिन संरक्षण बिल्कुल नहीं मिला ! ऐसे में यह किला Shahabad durg धीरे-धीरे अपना प्राकृतिक सौंदर्य को खोता ही जा रहा है !

ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन सिर्फ इस Shahabad durg किले का नाम मात्र ही इतिहास बन कर रह जाएगा ! मुगल शैली में बने इस Shahabad durg किले का इतिहास हमीर वंशीय राजाओं से जुड़ा हुआ है ! बाद में राजा मुकुटमणी देव हुए जिन्होंने 16 वीं सदी (1512 ई.) में घाटी के ऊपर किले का निर्माण करवाया गया था ! 17 वीं सदी तक किला मुगलों के अधिकार में रहा था ! फिर बाद में मराठों और खांडेराव के अधिकार में चला गया था ! कोटा के शासक महाराव भीमसिंह ने इस किले को 1714 ई. में 30000 रुपए में खरीद लिया था ! इतिहास में तो किले का अंतिम शासक नवल खांडेराव होने की जानकारी मिलती है !

शाहाबाद दुर्ग की सुरक्षा Shahabad durg / Shahabad kila

सुरक्षा के लिए Shahabad durg किले के चारों और 20 फीट ऊंचा परकोटा बनाया हुआ है ! वैसे यूं तो यहां 1960 तक लोगों के रहने की जानकारी भी मिलती है यहां के बड़े बुजर्गो का यह कहना है ! कि उस समय यहां 56 हजार लोगो की बस्ती (जनसंख्या)थी जब की कोटा में तो सिर्फ 56 घरों की बस्ती थी ! सन1961 से किला राज्य पुरातत्व विभाग के अधिकार में है ! यह 400 बीघा जमीन वन विभाग की भूमि पर फैला हुआ है ! शाहाबाद दुर्ग के बुर्जो पर तोपे रखी हुई है पूर्व दिशा में यहां पर लगभग 10 तोपे थी !

वर्ष 2010 में मुख्य सचिव एस अहमद के आदेशानुसार यहां पर मनरेगा के तहत यहां Shahabad durg में साफ-सफाई भी करवाई गई थी ! इसी दौरान यहां पर 6 तोपें थीं बाद में कुछ तोपों को बारां कलेक्ट्रेट भिजवा दी गई ! यहां राज्य की दूसरी सबसे बड़ी तोप नवल वान है (सबसे बड़ी जयवाण है जो जयपुर में है) यह तोप किले के बुर्ज पर रखी गई है ! ऐसा कहा जाता है की इस तोप को दोनों ओर से नापने में अंतर आता है. सुरक्षा व निगरानी के अभाव में यहां रखी तोपों से समाज कंटकों द्वारा लोहा ही चोरी किया जा रहा है ! लोहा चोरी के चलते किले में बने बड़े दरवाजे भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए है !

शाहाबाद किले में प्राचीन मंदिर Ancient Temple in Shahabad kila

यहां तक कि शाहाबाद दुर्ग से मिले अवशेषों से प्राचीन मंदिरों होने की जानकारी मिलती है ! यहां लक्ष्मण मंदिर के साथ साथ दो अन्य मंदिर होने के पुख्ता प्रमाण भी मिले हैं ! इसके अलावा हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति मिली है. जो अब कस्बे के तहसील कार्यालय में बने मंदिर में स्थापित कर दी गई है ! हनुमान जी के पुत्र मकरद्वज की मूर्ति अभी किले के अंदर है आनंदी माता का मंदिर भी यही बना हुआ है ! Shahabad durg


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