जयप्रकाश नारायण (11 अक्टूबर, 1902 – 8 अक्टूबर, 1979) (संक्षेप में जेपी) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। उन्हें 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इन्दिरा गांधी को पदच्युत करने के लिये उन्होने ‘सम्पूर्ण क्रांति’ नामक आन्दोलन चलाया। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें ‘लोकनायक’ के नाम से भी जाना जाता है। 1999 में उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मनित किया गया। पटना के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है। दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल ‘लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल’ भी उनके नाम पर है। ( Jayaprakash Narayan के स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, राजनेता के रूप में उनके अनेक महत्वपूर्ण कार्य थे। )
नाम | जयप्रकाश नारायण |
बचपन का नाम | बाउल |
पिता का नाम | हर्सुल दयाल श्रीवास्तव |
माताजी का नाम | फूल रानी देवी |
जन्म | 11 अक्टूबर 1902 सिताब दियारा, बलिया (उत्तर प्रदेश), भारत |
जन्म स्थान | Jayaprakash Narayan का जन्म बिहार के सारण जिले के सितारबदियार गांव में हुआ था। |
प्रमुख नारा | समग्र क्रांति |
अन्य नाम | जे.पी., लोकनायक |
मृत्यु | 8 अक्टूबर 1979 (उम्र 76) |
प्रारंभिक शिक्षा ( Jayaprakash Narayan in hindi ) :-
जेपी की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। बाद में पटना कॉलेजिएट पटना में दाखिला लिया था तथा बिहार में हिंदी की वर्तमान स्थिति, विषय पर लेख के लिए सर्वोच्च पुरस्कार प्राप्त किया था। इसके बाद जयप्रकाश नारायण ने पटना कॉलेज में दाखिला ले लिया था, लेकिन असहयोग आंदोलन के कारण इन्होंने अपनी शिक्षा अधूरी छोड़ दी थी। इसके बाद 1922 में शिक्षा प्राप्ति के लिए अमेरिका चले गए थे यहा केलिफोर्निया बर्कले,विस्किंसन मेडिसिन, आदि कई विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया था। यहां पर मार्क्सवाद और समाजवाद की शिक्षा ग्रहण की थी। मां के स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण बिना पीएचडी किए ही अपने देश लौट आए थे।
विवाह ( Jayaprakash Narayan in hindi ) :-
सन 1920 में जब जयप्रकाश 18 वर्ष के हुए थे तब इनका विवाह प्रभावती देवी से हुआ था। विवाह के पश्चात जेपी अपनी पढ़ाई में व्यस्त थे। इसलिए प्रभावती को अपने साथ नहीं रख सकते थे। इसलिए प्रभावती विवाह के पश्चात कस्तूरबा गांधी के साथ गांधी आश्रम में रहने लगी थी।
जयप्रकाश नारायण का भारत की स्वतंत्रता में जुड़ाव :-
![जयप्रकाश नारायण फोटो](https://history.takliya.com/wp-content/uploads/2022/05/जयप्रकाश-नारायण-फोटो.webp)
जयप्रकाश नारायण 1929 में अमेरिका से लौटे आए थे। तब भारत में स्वतंत्रता संग्राम तेजी से बढ़ रहा था। बाद में जेपी का संपर्क जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधीजी से हुआ था और वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए थे। सन् 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में जब गांधी जी, नेहरु जी समेत अन्य महत्वपूर्ण कांग्रेसी जेल में चले गए थे। तब जेपी ने भारत के अलग-अलग हिस्सों में आंदोलन की ज्वाला जगाई थी। ब्रिटिश सरकार ने जेपी को भी सितंबर 1932 में गिरफ्तार कर लिया था और नासिक जेल में भेज दिया था। नासिक जेल में उनकी भेंट अच्युत पटवर्धन, एमआर मसानी, अशोक मेहता एवं और सी. के.नारायण स्वामी जैसे नेताओं से हुई थी।।
कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी की नींव ( Jayaprakash Narayan in hindi ) :-
इन नेताओं के विचारों ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (सीएसपी) की नींव रखी थी। जब कांग्रेस ने 1934 में चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला किया था। तब कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी ने इसका विरोध किया था।
ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन :-
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जेपी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था। और ऐसे अभियान चलाए थे, जिससे सरकार को मिलने वाला राजस्व रोका जा सके। इस दौरान जेपी को गिरफ्तार कर लिया गया था और उन्हें 9 महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी। जयप्रकाश नारायण ने गांधीजी और सुभाष चंद्र बोस के बीच मतभेदों को सुलझाने की कोशिश भी की थी। सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे हजारीबाग जेल से फरार हो गए थे।
आपातकाल के दौरान उनके महत्वपूर्ण कार्य :-
देश की आजादी के बाद कई सरकारों ने घोटाले और षड्यंत्र किए थे, जिसमें देश और समाज का बहुत नुकसान हुआ था। देश में महगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी छा गई थी। ऐसे समय में Jayaprakash Narayan ने आगे आकर युवाओं के माध्यम से जनता को एकजुट किया था। जेपी ने कहा कि सारी समस्या दूर हो सकती हैं। जब संपूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और संपूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए संपूर्ण क्रांति आवश्यक है। उनके अहिंसावादी आंदोलन की सूरत को देखकर कुछ लोगों ने उन आजाद भारत के गांधी की उपाधि दी थी। जेपी का यह आंदोलन बिहार से शुरू होकर पूरे भारत में कब फैल गया पता ही नहीं चला था।
जयप्रकाश नारायण द्वारा कांग्रेस का विरोध :-
जेपी एक समय में कांग्रेस के सहयोगी थे, लेकिन आजादी के बाद (लगभग दो दशक बाद) इंदिरा गांधी सरकार के भ्रष्ट व लोकतांत्रिक तरीके ने जेपी, कांग्रेस और इंदिरा गांधी के विरोध में खड़े हो गए थे। इसी दौरान सन 1975 में अदालत में इंदिरा गांधी पर चुनाव में भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो गया था। और जयप्रकाश नारायण, सुनील जैन ने विपक्ष को एकजुट कर उनके इस्तीफे की मांग की थी। इसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया था। जनवरी 1977 को इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल हटाने का फैसला किया था। मार्च 1977 में चुनाव हुए और लोक नायक के संपूर्ण क्रांति के चलते भारत में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी।
मृत्यु कब और कैसे हुई ( Jayaprakash Narayan Biography in hindi ) :-
आंदोलन के दौरान उनका स्वास्थ्य खराब होना शुरू हो गया था। आपातकाल में जेल में बंद रहने के दौरान उनकी तबीयत अचानक 24 अक्टूबर 1976 को खराब हो गई थी और 12 नवंबर 1976 को उन्हें रिहा कर दिया गया था। मुंबई के जसलोक अस्पताल में जांच के दौरान पता चला कि उनकी किडनी खराब हो गई थी। जिसके बाद वह डायलिसिस पर रह थे। जयप्रकाश नारायण का निधन 8 अक्टूबर 1979 को पटना में मधुमेह और हृदय रोग के कारण हुआ था।
जयप्रकाश नारायण को सम्मान :-
भारत सरकार ने जयप्रकाश नारायण को सन 1998 में मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। सन 1965 में उन्हें समाज सेवा के लिए मैग्सेसे पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
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