जयगढ़ दुर्ग का इतिहास Jaigarh Fort

जयगढ़ दुर्ग का इतिहास Jaigarh Fort

जयगढ़ दुर्ग जयपुर का इतिहास Jaigarh Fort History In Hindi

नमस्कार दोस्तों आज हम राजस्थान के जयपुर में स्थित जयगढ़ दुर्ग  के बारे में जानेगे 

जयगढ़ दुर्ग भव्य और सुदृढ़ दुर्ग कब बना इस बारे में प्रामाणिक जानकारी का अभाव है ! परंतु जयगढ़ दुर्ग के निर्माता राजा मानसिंह प्रथम को मानना ही उचित है ! क्योंकि उन्होंने सर्वप्रथम यहाँ पर 1587 ई. में तोप ढ़ालने का विशाल कारखाना बनवाया था ! मूल स्वरूप में सुरक्षित पुरानी लेथ मशीन पूरे भारत में एकमात्र इसी दुर्ग में मिली है ! जनश्रुति के अनुसार भी जयगढ़ दुर्ग का निर्माण महाराजा मानसिंह प्रथम ने अपने राजकोष की सुरक्षार्थ चिल्ह का टीला नामक पहाड़ी पर करवाया था ! और यह दुर्ग ‘चिल्ह का टीला’ भी कहलाता है !

इसके बाद मिर्जा राजा जयसिंह ने इस दुर्ग पर निर्माण करवाया और यह दुर्ग जयगढ़ कहलाया ! पोथीखाने के अनुसार जयगढ़ के निर्माता मिर्जा
राजा जयसिंह है ! जयगढ़दुर्ग पूर्ण रूप सवाई जयसिंह के समय प्राप्त कर सका ! इस दुर्ग को वर्तमान स्वरूप 1726 ई. में सवाई जयसिंह के काल में दिया गया ! जयगढ़दुर्ग गिरि दुर्ग की श्रेणी में आता है !

जयगढ़ दुर्ग जयपुर का परिचय – Introduction of Jaigarh Fort Jaipur

  • नाम – जयगढ़ किला या दुर्ग ( Jaigarh Fort )
  • निर्माण  – आमेर शासक मिर्जा राजा जयसिंह द्वारा करवाया गया
  • कब हुआ –  1600 ई. के लगभग बनवाना प्रारंभ किया
  • स्थान –  जयपुर राजस्थान ( भारत )
  • प्रसिद तोप  – जयबाण तोप (  इसकी लम्बाई 31 फिट है और इसका वजन लगभग 50 टन माना जाता है !

इतिहास के अनुसार जयगढ़ दुर्ग में कछवाहा वंश के राजाओं का दफीना (राजकोष ) रखा हुआ था ! तथा यहाँ पर राजनैतिक कैदियों को कैद किया जाता था जिसके लिए प्रसिद्ध था ! कि जो व्यक्ति एक बार जयगढ़ किला में कैद कर डाल दिया जाता था वह जीवित नहीं निकलता था ! इस दुर्ग का निर्माण आपातकालीन निवास के लिए करवाया गया था ! इसीलिए इस दुर्ग को ‘संकट मोचक दुर्ग’ के नाम से भी जाना जाता है !
1975-76 ई. में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के काल में गुप्त खजाने की खोज में यहाँ खुदाई की गई थी !

जयगढ़ दुर्ग में प्रवेश द्वार –

  • डूंगर दरवाजा – जयगढ़ किला में यह दरवाजा नाहरगढ़ की ओर से आने पर आता है !
  • अवनि दरवाजा – यह दरवाजा आमेर के किले के पास फूलों की घाटी से आता है !
  • भैरू दरवाजा (दुर्ग दरवाजा) – यह दरवाजा सागर नामक जलाशय की ओर से दुर्ग के भीतर जाने का है !

जयपुर के दुर्ग में स्थित ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल –

विजयगढ़ी – जयगढ़ दुर्ग के भीतर एक लघु दुर्ग भी बना हुआ है ! जहाँ महाराजा सवाई जयसिंह ने अपने विरोधी छोटे भाई विजयसिंह (चीमा) को कैद रखा था ! वर्षों तक यहाँ कैद रहे विजयसिंह के नाम पर इसे लघु गढ़ी विजयगढ़ी के नाम से जाना जाता है ! इसका निर्माण कछवाहा वंश के सिलहखानों (शस्त्रागार) और आपातकाल में निवास करने के लिए करवाया गया था !

  • दिया बुर्ज –

विजयगढ़ी के पास में ही सात मंजिला प्रकाश स्तंभ बना है जो दिया बुर्ज कहलाता है  ! शत्रुओं के आक्रमण करने पर उन पर निगाह रखने की दृष्टि से इसका विशेष महत्व है !

जयपुर दुर्ग जयगढ़ की जयबाण तोप – Jaibaan Cannon of Jaipur Jaigarh Fort

जयगढ़ दुर्ग में स्थित जयबाण तोप महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा सन् 1720 ई. में निर्मित ‘जयबाण’ अतिविशाल तोप है ! जयबाण तोप पहियों पर खड़ी उस समय एशिया की सबसे बड़ी तोप थी ! इस तोप की नली का आकार 6.1मीटर और बैरल का वजन 50 टन है ! नाल की लंबाई 20 फीट जिसकी मार क्षमता 22 मील थी ! इस तोप को केवल एक बार परीक्षण के तौर पर चलाया गया तो उसका गोला चाकसू में जाकर गिरा जहाँ वर्तमान में गोलेराव तालाब स्थित है ! जयबाण को दुबारा नहीं चलाया गया ! क्योंकि उसकी गर्जना (आवाज) इतनी तेज थी कि पशु-पक्षियों तथा महिलाओं के गर्भपात हो गए थे !


अन्य टोपिक :-

 

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