आमेर दुर्ग का इतिहास | History Of Amer Fort

आमेर दुर्ग - Amer Fort

आमेर दुर्ग  जयपुर से लगभग  11 किलोमीटर की दूरी पर अरावली पहाड़ी की चोटी पर स्थित है! यह आमेर का किला राजस्थान राज्य के महान और सबसे विशाल किलों में से एक माना जाता है! यह आमेर दुर्ग एक महत्वपूर्ण किला है जो राजस्थान की शान के चार चाँद लगाता है! और यह किला अपनी अनोखी वास्तुशैली, वास्तुकला की संरचना के लिए पुरे भारत में मशहूर है! राजस्थान के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक माना जाता है!

आमेर दुर्ग का इतिहास – Amer fort History In Hindi

आमेर प्राचीन काल में एक नगर था, जो अंबरीश ऋषि की तपोस्थली था और उसी के नाम पर ये नगर था ! प्राचीन काल में आंबेर, अंबिकापुर, अंबर, अंबरीशपुर, अंबावती आदि नामों से विख्यात था !  इतिहास के अनुसार पहले यहाँ सूसावत मीणों का वर्चस्व था ! जिन्हें 11वीं शताब्दी (1150 ई. में) कछवाहा राजा धोलाराय ने हराकर एक छोटे से दुर्ग का निर्माण करवाया ! आमेर दुर्ग के महलों का निर्माण कार्य राजा मानसिंह ने शुरू करवाया था ! जो राजा मिर्जा जयसिंह के काल में पूर्ण हुआ था !

1599 ई. में आमेर में बना होने के कारण यह किला आमेर किला कहलाया ! यह आमेर दुर्ग गिरि दुर्ग की श्रेणी में आता है ! बिशप हैबर ने आंबेर के महलों की सुंदरता को देखकर लिखा है कि “मैंने क्रेमलिन में जो कुछ देखा है ! और अलब्रह्मा के बारे में जो कुछ भी सुना है, उससे ही बढ़कर ये महल है !

  • आमेर दुर्ग का परिचय –
पूरा नामआमेर दुर्ग
दुर्ग निर्माणराजा मानसिंह प्रथम
निर्माण कब हुआ1592 ई.
स्थानआमेर ( जयपुर )
Amer durg history in hindi

आमेर दुर्ग के प्रमुख ऐतिहासिक महल और स्थल Amer durg ka itihaas

मानसिंह महल-वर्तमान में आमेर दुर्ग में सबसे प्राचीन महल है ! मानसिंह के द्वारा बनवाए हुए हैं ! उसने यह महल साधारण रूप में बनवाए थे क्योंकि मानसिंह अपने जीवन काल में यहाँ पर कम ही रूका था ! आमेर के किले में सबसे पुराने महल कदमी महल हैं ! इन महलों का निर्माण 1237 ई में गद्दी पर बैठे राजदेव ने करवाया था ! और इन महलों में बनी एक छतरी में ही आमेर के शासकों का राजतिलक होता था ! आमेर के शासक पृथ्वीराज की रानी बालाबाई के नाम पर बनाई गई ! साल आमेर के महलों के पीछे स्थिति है ! जिसे बालाबार्ड की साल के नाम से प्रमुखता से जाना जाता है !

  • मावठा झील और केसर क्यारी –

आमेर दुर्ग के नीचे मावठा झील स्थित है उसी के मध्य सुगंधित केसर की क्यारीयाँ बनी हुई थी ! जिससे हवा के साथ-साथ केसर की सुगंधित खुशबु दुर्ग में पहुँचती थी ! इसका निर्माण 1664 ई. में मिर्जा राजा जयसिंह ने करवाया था !

  • दिलाराम के बाग –

इसका निर्माण 1664 ई में मिर्जा राजा जयसिंह ने करवाया था !

  • आमेर दुर्ग का दीवान-ए-आम –

आमेर दुर्ग में प्रवेश करते ही चौक में संगमरमर के चालीस खंभों से निर्मित एक विशाल आयताकार भवन है ! जिसका निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह ने करवाया था ! यहाँ पर राजा का आम दरबार लगता था जहाँ राजा सामान्य जनता से प्रत्यक्ष रूप से मिलता था !

  • दीवान-ए-खास ( शीश महल ) –

इसका निर्माण भी मिर्जा राजा जयसिंह ने करवाया था जिस पर खुदाई और कांच का सुंदर काम हुआ है ! और इसे शीश महल भी कहते हैं ! महाकवि बिहारी ने इसे दर्पण धाम कहा है ! यहाँ पर राजाअपने विशिष्ट सामंतों और अन्य लोगों से विचार-विमर्श करता था !

  • गणेशपोल दीवान-ए-आम के बाद –

आमेर दुर्ग में प्रवेश करने के बाद गणेशपोल आता है इसका निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह ने करवाया ! यह पोल 50 फीट ऊँचा व 50 फीट चौड़ा है इसके ऊपर चतुर्भुज गणेशजी मूर्ति पूर्व दिशा की ओर देखते हुए पद्मासन मुद्रा में विराजमान है ! फग्र्युसन ने इसके में कहा कि “आमेर दुर्ग का गणेशपोल दुनिया का सबसे अच्छा दरवाजा है !

आमेर किला के मंदिर Amer durg hindi –

  • सुहाग मंदिर (सौभाग्य मंदिर) –

गणेशपोल के ऊपर एक आयताकार महल है जहाँ से रानियाँ दीवान-ए-आम का दृश्य देखा करती थीं जिसे सुहाग मंदिर कहते है !

  • जस मंदिर –

(यश मंदिर)दीवान-ए-खास (शीश महल) के ऊपर चूने और गज् मिट्टी से निर्मित जिन पर जामिया काँच के टुकड़े जड़े हुए हैं ! जो बड़े कलात्मक प्रतीत होते हैं यहाँ से रानियाँ दीवान-ए-खास का दृश्य देखा करती थीं !

  • सुख मंदिर –

दीवान-ए खास के सामने बगीचे की दूसरी तरफ निर्मित सुख मंदिर राजाओं का ग्रीष्मकालीन निवास था ! जिसका निर्माण जयसिंह प्रथम ने करवाया था ! इसी सुख मंदिर को ‘आराम मंदिर’ के नाम से जानते हैं !

  • शिला देवी का मंदिर –

यह आमेर दुर्ग के कछवाहा वंश की इष्ट देवी है ! 16वीं शताब्दी में मानसिंह प्रथम द्वारा पूर्वी बंगाल के राजा केदार को हराकर ! ‘जस्सोर’ नामक स्थान से अष्ट भुजी भगवती की मूर्ति आमेर लाकर आमेर दुर्ग के जलेब चौक में मंदिर बनवाया !

  • जगतशिरोमणि मंदिर –

आमेर दुर्ग के महलों में मानसिंह प्रथम की रानी कनकावती ने अपने पुत्र जगतसिंह की याद में इस मंदिर का निर्माण करवाया ! इस मंदिर में कृष्ण भगवान की काले रंग की मूर्ति है ! जिसकी पूजा मीरां बाई बचपन में करती थी और इसे मीरा मंदिर भी कहते हैं !

जयपुर का आमेर दुर्ग आक्रमणों से क्यों बचा रहा Amer durg kisne banvaya

आमेर दुर्ग आक्रमणों से इसलिए बचा रहा क्योंकि ! यहाँ के राजप्रसाद अन्य दुर्गों की तरह  समतल जमीन पर इसकी दीवारें और प्राचीर नहीं है  ! आमेर किला पहाड़ी के ढलान पर बना हुआ हैं ! और इसमें महलों को ही दुर्ग का रूप दे दिया गया था ! कछवाहा के शासकों द्वारा पहले ही मुगल अधीनता स्वीकार कर लेने के कारण आमेर दुर्ग बाहरी युद्ध या आक्रमणों  से बचा रहा था !


अन्य टॉपिक :-

FAQ About Amer Fort :

  1. आमेर का किला किसने और कब बनवाया?

    आमेर दुर्ग का निर्माण राजा मानसिंह प्रथम द्वारा 1592 ई. में करवाया गया!

  2. आमेर क्यों प्रसिद्ध है?

    आमेर जयपुर में स्थित एक उपनगर है जो आमेर दुर्ग के कारण प्रसिद्ध है!

  3. जल महल कितने मंजिल है?

    जल महल 5 मंजिला महल है जिसमे से 4 मंजिल पानी के अंदर बनी है और एक मंजिल पानी के बाहर!

  4. बहादुर शाह प्रथम ने आमेर का नाम बदलकर क्या रखा?

    मोमीनाबाद

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