वल्लभभाई झावेरभाई पटेल (31 अक्टूबर, 1875 – 15 दिसंबर, 1950), जो सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय थे, एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल ( Sardar Vallabhbhai Patel ) ने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे सरदार वल्लभभाई ने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया।
सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi
नाम :- | सरदार वल्लभभाई पटेल |
जन्म :- | 31 अक्टुम्बर 1875 |
जन्म स्थान :- | नाडियाड, बोम्बे प्रेसीडीसी |
पिता का नाम :- | झावेर भाई पटेल |
माता का नाम :- | लाड बाई |
राजनीतिक दल :- | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पेशा :- | वकालत, राजनीति |
मृत्यु :- | 15 दिसंबर 1950 |
सरदार वल्लभभाई पटेल जी का जन्म नाडियाड(पाटीदार) जाति में हुआ था। उनके पिताजी झावेर भाई एवं लाड बाई उनकी माता का नाम था। पटेल जी अपने माता पिता की चौथी संतान थे। सन् 1893 में 16 वर्ष की उम्र में इनका विवाह झावेर बा के साथ कर दिया था। उनकी शिक्षा मुख्यत: स्वाध्याय से हुई थी। लंदन से उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की थी और वापिस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे थे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था।
सरदार वल्लभभाई पटेल कि शिक्षा Sardar Vallabhbhai Patel essay
वल्लभभाई को अपनी शिक्षा पूरी करने में काफी समय लगा। उन्होंने 22 साल की उम्र में दसवीं की परीक्षा पास की थी। परिवार की आर्थिक तंगी की वजह से उन्होंने कॉलेज जाने की बजाय किताबें ली और खुद जिलाधिकारी की परीक्षा की तैयारी करने लगे। इस परीक्षा में उन्होंने सर्वाधिक अंक प्राप्त किए थे। 36 वर्ष की उम्र में सरदार पटेल वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड गए थे। उनके पास कॉलेज जाने का अनुभव नहीं था। फिर भी उन्होंने 36 महीने के वकालत के कोर्स को महज 30 महीने में ही पूरा कर दिया था।
सरदार वल्लभभाई पटेल ने 12 नवंबर 1947 को जूनागढ़ पहुंचकर उन्होंने भारतीय सेना को इस क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने के निर्देश दिया और साथ ही सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया था। ऐसा माना जाता है कि महात्मा गांधी ने इस फैसले को उचित माना था। गांधीजी ने सुझाव दिया कि निर्माण के खर्च में लगने वाले पैसा आए जनता से दान के रुप में इकट्ठा किया जाना चाहिए ना की सरकारी खजाने से दिया जाना चाहिए।
- खेड़ा आंदोलन
स्वतंत्रता आंदोलन में पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा आंदोलन में हुआ। गुजरात का खेड़ा डिवीजन उन दिनों भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट करने की मांग की थी। जब यह मांगे स्वीकार नहीं की गई तो सरदार वल्लभभाई पटेल, गांधीजी और अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिए प्रेरित किया था। अंत में अंग्रेजी सरकार झुक गई थी। उस वर्ष करो को माफ कर दिया गया गया था।
- बारडोली सत्याग्रह Sardar Patel jayanti
सरदार वल्लभभाई पटेल ने बारडोली में सत्याग्रह का नेतृत्व किया है। यह आंदोलन 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ किया गया था। इसमें सरकार द्वारा बढ़ाए गए कर का विरोध किया गया था । सभी किसान भाइयों को एकजुट कर दिया। इस कारण से ब्रिटिश वायसराय को झुकना पड़ा था। इस बारडोली सत्याग्रह के कारण पूरे देश में वल्लभभाई पटेल का नाम प्रसिद्ध हुआ और लोगों में उत्साह की लहर दौड़ पड़ी। इस आंदोलन की सफलता के कारण पटेल जी को बारडोली के लोग “सरदार” कहने लगे थे। इसके बाद उन्हें सरदार पटेल के नाम से ख्याति प्राप्त हुई थी।
सरदार वल्लभ भाई पटेल के मुख्य कार्य Sardar Vallabhbhai Patel information
1. 1917 में बोरसाद में एक भाषण के माध्यम से उन्होंने लोगों को जागृत किया और गांधीजी का स्वराज के लिए उनकी लड़ाई में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित किया था।
2. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने खेड़ा आंदोलन में अहम भूमिका निभाई तथा अकाल पर फ़्लैग से पीड़ित लोगों की सेवा की थी।
3. बारडोली आंदोलन :- इसमें इन्होंने अपनी भूमिका निभाई और इन्होंने किसानों को अंग्रेज सरकार को कर ना देने के लिए प्रेरित किया था तथा जीत हासिल कि यहाँ उन्हें सरदार की उपाधि प्रदान की गई थी।
4. असहयोग आंदोलन में गांधीजी का साथ दिया था। पूरे देश में भ्रमण करके लोगों को तथा आंदोलन के लिए धनराशी एकत्र किया था।
5. भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था।
6. देश की आजादी के बाद देश के गृहमंत्री एवं उपप्रधानमंत्री बने इस पद पर रहते हुए उन्होंने राज्यों का एकीकरण का महत्वपूर्ण कार्य किया था जिससे उन्हें लौह पुरुष की उपाधि मिली थी।
सरदार वल्लभभाई पटेल का सम्मान Sardar Vallabhbhai Patel essay in hindi
1. वल्लभभाई के सम्मान में अहमदाबाद के हवाई अड्डे का नामकरण वल्लभभाई अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र रखा गया है।
2. सन 1991 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
3. 31 अक्टूबर 2013 को वल्लभभाई की 137 वी जयंती के मौके पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा नदी जिसमें सरदार वल्लभ भाई पटेल के एक नए स्मारक का शिलान्यास किया। यहां लोहे से निर्मित वल्लभभाई की एक विशाल मूर्ति लगाने का निश्चय किया गया। अतः इस स्मारक का नाम एकता की मूर्ति (स्टैचू ऑफ यूनिटी) रखा गया।
Sardar Vallabhbhai Patel ki मृत्यु
15 दिसंबर 1950 को वल्लभभाई की मृत्यु हार्ट अटैक की वजह से हुई थी।
People Also Ask About Sardar Vallabhbhai Patel :
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सरदार पटेल को लौहपुरुष क्यों कहा जाता है?
देश की आजादी के बाद देश के गृहमंत्री एवं उपप्रधानमंत्री बने इस पद पर रहते हुए उन्होंने राज्यों का एकीकरण का महत्वपूर्ण कार्य किया था जिससे उन्हें लौह पुरुष की उपाधि मिली थी।
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स्वतंत्र भारत में सरदार पटेल का सबसे बड़ा योगदान क्या था?
स्वतंत्रता आंदोलन में पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा आंदोलन में हुआ। गुजरात का खेड़ा डिवीजन उन दिनों भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट करने की मांग की थी। जब यह मांगे स्वीकार नहीं की गई तो सरदार वल्लभभाई पटेल, गांधीजी और अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिए प्रेरित किया था। अंत में अंग्रेजी सरकार झुक गई थी। उस वर्ष करो को माफ कर दिया गया गया था।
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भारत की सबसे बड़ी मूर्ति जो सरदार वल्लभ भाई पटेल की बानी है वो कहाँ स्थित है?
31 अक्टूबर 2013 को वल्लभभाई की 137 वी जयंती के मौके पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा नदी जिसमें सरदार वल्लभ भाई पटेल के एक नए स्मारक का शिलान्यास किया। यहां लोहे से निर्मित वल्लभभाई की एक विशाल मूर्ति लगाने का निश्चय किया गया। अतः इस स्मारक का नाम एकता की मूर्ति (स्टैचू ऑफ यूनिटी) रखा गया।
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सरदार पटेल को कौन सा सम्मान मिला था?
a. वल्लभभाई के सम्मान में अहमदाबाद के हवाई अड्डे का नामकरण वल्लभभाई अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र रखा गया है।
b. 2. सन 1991 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
c. गुजरात में स्टैचू ऑफ यूनिटी का निर्माण। -
सरदार पटेल का उपनाम क्या है?
लौहपुरुष
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पटेल को सरदार की उपाधि कैसे मिली?
बारडोली आंदोलन में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपनी भूमिका निभाई और इन्होंने किसानों को अंग्रेज सरकार को कर ना देने के लिए प्रेरित किया था तथा जीत हासिल कि यहाँ उन्हें सरदार की उपाधि प्रदान की गई थी।
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सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष की उपाधि कैसे मिली?
देश की आजादी के बाद देश के गृहमंत्री एवं उपप्रधानमंत्री बने इस पद पर रहते हुए उन्होंने राज्यों का एकीकरण का महत्वपूर्ण कार्य किया था जिससे उन्हें लौह पुरुष की उपाधि मिली थी।
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