श्रीकृष्ण बलराम जी नामकरण कंस से छुपाकर हुआ हिंदी कहानी भाग – 3

श्री कृष्ण का जन्म और कंस का अत्याचार
श्री कृष्ण का जन्म और कंस का अत्याचार

इस महाभारत पुराण के भाग 2 की कहानी में आपने पढ़ा था कि ! भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा नरेश कंस के द्वारा भेजे गए  ! राक्षसी पूतना और अन्य राक्षसो को मार गिराया था कृष्ण लीला की कहानी भाग 3 में हम जानेंगे कि ! किस तरह श्रीकृष्ण बलराम जी नामकरण हिंदी कहानी पापी कंस से छुपाकर महर्षि शांडिल्य  के आश्रम में, किया जाता है  !

श्री कृष्ण बलराम जी नामकरण कंस से छुपाकर इस तरह किया गया हिंदी कहानी shri krishna hindi story

श्रीकृष्ण लीला की इस कहानी में भगवान श्रीकृष्ण बलराम जी नामकरण किया जाता है ! इस कारण कंस का महामंत्री कंस से कहता है कि अगर वह बालक नंदराय जी का है तो ! उस बालक का नामकरण गवालों ( गाय चराने वाले ) के कुल गुरु महर्षि शांडिल्य ही करेंगे और ! अगर यह वसुदेव का आठवां पुत्र है तो उसका नामकरण महर्षि गर्ग करेंगे ! इस बात की पुष्टि करने के लिए कंस अपने गुप्तचरो को साधुओं का वेश धारण कर  गोकुल में भेज देता है ! महामुनी शांडिल्य के आश्रम में महर्षि गर्ग और शांडिल्य दोनों बालकों का नामकरण करते हैं !

सबसे पहले महर्षि गर्ग ने वसुदेव जी की दूसरी पत्नी रोहिणी के पुत्र नाम रखा और कहा कि ! यह एक अद्भुत चमत्कारी बालक है और इसका नाम राम रखा और ! इसमें अपार बल होगा इस कारण लोग इन्हें बलराम के नाम से जानेंगे !  उसके बाद महर्षि ने वसुदेव और देवकी के आठवें पुत्र या यसोदा के पुत्र का नामकरण किया और कहा ! कि इस चमत्कारी बालक में मुझे भगवान विष्णु की छवि दिखाई देती है और इसका नाम कृष्ण हैं !  कंस के द्वारा भेजे गए गुप्त चोरों से पता चल जाता है कि !

यह नामकरण महर्षि गर्ग  के हाथों हुआ है कंस पूर्ण रूप से समझ जाता है ! कि यह बालक वही देवकी और वसुदेव का आठवा पुत्र है इस कारण कंस ने ! वसुदेव और देवकी को फिर से बंदी बनाकर कारागृह में डाल दिया जाता है ! श्रीकृष्ण बलराम जी नामकरण

श्रीकृष्ण बलराम जी नामकरण हो जाने के बाद कंस महर्षि गर्ग को मारने के लिए अपनी तलवार निकालता है

कंस ने अपने महामंत्री  को महर्षि गर्ग को लाने के लिए भेजा महामंत्री ने महर्षि को रथ में बिठाकर मथुरा नगरी ले आता है ! महर्षि गर्ग राजा कंस का दरबार में इंतजार कर रहे थे और कंस के आने के बाद महर्षि से पूछा जाता है ! कि आपने गोकुल में जाकर नंदराय के बालकों का नामकरण क्यों किया था ! इस बात का जवाब महर्षि देते हैं कि मैं एक राजपुरोहित हूं एक राजपुरोहित का धर्म है कि ! हम अपने जजमान का जन्म से लेकर मृत्यु तक का सारा क्रिया कर्म करते हैं !

यही एक सिद्ध राजपुरोहित का धर्म है इन सब कार्यों के लिए मुझे किसी की आज्ञा लेने की कोई आवश्यकता नहीं है ! यह सुनकर कंस क्रोधित हो जाता है और अपनी तलवार म्यान से निकाल लेता है यह देख कर ! महर्षि गर्ग अपने सिहासन को छोड़कर  उठ खड़े होते हैं और कहते हैं कि ! तुम एक अधर्मी राजा हो जिसको यह भी ज्ञान नहीं है कि अपने गुरु से किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए ! यह कहकर महर्षि गर्ग अपने आश्रम चले जाते हैं !

कंस ने महर्षि पर तलवार से इसलिए वार नहीं किया क्योंकि कंस जानता था की ऋषि गर्ग एक बहुत बड़े तपस्वी है ! जिनके पास ब्रह्म दंड जैसा भयंकर सक्ति है जिससे कंस और उसके सारे सेना का सर्वनाश कर सकते थे, इस कारण कंस ने उन पर प्रहार नहीं किया ! श्रीकृष्ण बलराम जी नामकरण 

तृणाव्रत दैत्य के द्वारा श्रीकृष्ण को मारने का प्रयास krishna hindi story

कुछ समय बीत जाने के बाद कंस ने अपना महाबली राक्षसों में से एक तृणाव्रत दैत्य को भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए भेजा ! यह राक्षस गोकुल में जाकर इतनी तबाही मचा देता है कि गोकुल के बड़े-बड़े घर पत्तों की तरह हवा में उड़ जाते हैं ! चारों तरफ अफरा-तफरी मच जाती है इस बात का फायदा उठाकर तृणाव्रत दैत्य ! भगवान श्रीकृष्ण को अपने हाथों में लेकर आकाश की ओर ऊपर उड़ जाता है गोकुल से काफी दूर ले जाता है !

भगवान श्रीकृष्ण इस बड़े दैत्य को अपने छोटे हाथों से गला घोट कर मौत के घाट उतार देते हैं और ! यह राक्षस जमीन पर गिरता है ! गोकुल के वासी और यशोदा माँ आकर देखते हैं तो भगवान श्रीकृष्ण जमीन पर बिखरे फूलों पर खेलते दिखाई देते हैं ! और वह विशाल राक्षस जमीन पर मरा दिखाई देता है ! यशोदा मां बहुत घबरा जाती है और अपने लल्ला श्रीकृष्ण को लेकर अपने घर चली जाती है ! कंस को हर बार मुंह की खानी पड़ती है इस कारण वह पूरी तरह से निराश हो जाता है !

लेकिन उसके पड़ोसी राज्य के मित्र उसे इन सब बातों को भूल जाने के लिए कहता है ! अपने राज्य में मनोरंजन और आखेट खेलने के लिए बुला लेता है ! इन बातों को भूल जाने के लिए कंस अपने मित्र के पड़ोसी राज्य में चला जाता है ! इस तरह श्रीकृष्ण बलराम जी नामकरण सफल हुआ !  आगे की कहानी में भगवान शिव बालस्वरूप कृष्ण भगवान विष्णु के दर्शन करने के लिए आते हैं – – – भाग  4


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