श्री कृष्ण का जन्म और कंस का अत्याचार

जब मथुरा के राज सिंहासन पर राजा उग्रसेन विराजमान थे ! तथा बड़े शुभ अवसर पर महर्षि गर्ग के आदेशानुसार राजा उग्रसेन की पुत्री और कंस की बहन देवकी का विवाह

राजकुमारी देवकी के विदाई का समय आया तो राजकुमार कंस ने वासुदेव के रथ का सारथी बनकर ! उन्हें उनके महल तक पहुंचाने के लिए जा रहे थे

तभी रास्ते में जोरदार बिजली कड़की और आकाशवाणी होती है की, हे पापी मूर्ख कंस जिसे तुम इतने प्रेम से रथ में बिठाकर ले जा रहे उसी देवकी के आठवीं संतान से तेरा सर्वनाश होगा

इस बात को सुनकर कंस ने देवकी को तलवार से मारना चाहा ! लेकिन कुमार वसुदेव ने वचन दिया कि मैं कभी झूठ नहीं बोलता !

मैं सत्य वचना हूं और आप से वादा करता हूं कि मैं मथुरा में ही रह कर, आपको मेरे 8 पुत्र दे दूंगा और कंस ने उन्हें एक महल में बंदी बना दिया !

सैनिकों का कड़ा पहरा लगवा दिया यह बात जब महाराजा उग्रसेन को पता चली ! तो महाराज ने वसुदेव और देवकी को उस बंदी से मुक्त कर दिया !

इस बात का पता कंस को चला गया की वसुदेव और देवकी बंदी मुक्त हो गए हैं ! तो उसने महाराज उग्रसेन के पीठ पीछे विद्रोह करना शुरू कर दिया

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