भगतसिंह की जिंदगी के आखिरी 12 घंटों की कहानी

bhagat singh ke aakhiry 12 ganto ki khani - भगतसिंह

लाहौर सेंट्रल जेल भारतीय स्वतंत्रता के क्रान्तिकारी राजगुरु, भगतसिंह और सुखदेव की कहानि हिंदी में

भगतसिंह की जिंदगी के आखिरी 12 घंटों की कहानी मैं क्या-क्या हुआ था जाने हिंदी में Bhagat Singh in Hindi

भगतसिंह लाहौर सेंट्रल जेल में 23 मार्च 1931 की शुरुआत किसी और दिन की तरह ही हुई थी फर्क सिर्फ इतना ही था ! की रात आई जबरदस्त आंधी सुबह होते होते सुहानी प्यार में बदल गई ! लेकिन जेल के कैदियों का समय थोड़ा अजीब सा लगा था ! जब 4:00 बजे ही थे वार्डन चरण सिंह ने उनसे आकर कहा कि वह अपनी अपनी कोठियों में चले जाएं ! उन्होंने इसका कोई कारण नहीं बताया उनके मुंह से केवल यह निकला कि ऊपर से आदेश है ! अभी अकेले सोच ही रहे थे कि माजरा क्या है !

जेल का नही वर्कर हर कमरे के सामने से फुसफुस आते हुए ! गुजरती आज रात भगतसिंह राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाने वाली है ! 11 कैदियों ने वर्कर से मनुहार की कि वह फांसी के बाद भगतसिंह की कोई भी चीज उन्हें ला दें ! ताकि वह अपने पोतो  पोतियों को बता सके कि वह कभी भगतसिंह के साथ जेल में बंद थे !

वर्कर भगतसिंह की कोठरी में गया और वहां से उनका पेन और कंगा ले आया सारे कैदियों में उस पर अधिकार जताने की होड़ सी लग गई ! आखिर में इसके लिए ट्रेनड निकला गया अब सब कैदी चुपचाप हो चले थे कि उनकी कोटरी के सामने से ! भगतसिंह और उनके साथी फांसी पर लटकाए जाने के लिए उसी रास्ते से गुजरने वाले थे !

एक बार पहले भगतसिंह उसी रास्ते से ले जाए जा रहे थे ! तो पंजाब कांग्रेस के नेता भीमसेन ने उनकी आवाज कर उनसे पूछा था ! आप और आपके साथियों ने लाहौर कॉन्फ्रेंस यू केस में अपना बचाव क्यों नहीं किया ! और भगतसिंह का जवाब था इंकलाब यू ही नही मरता है क्योंकि उनके मरने से ही उनका अभियान मजबूत होता है !

भगतसिंह और चरण सिंह

अदालत में अपील से नहीं मॉडर्न चरण सिंह भगतसिंह के हर गवा थे और अपनी तरफ से जो कुछ बन पड़ता था उनके लिए करते थे ! उनकी वजह से ही लाहौर की द्वारकादास लाइब्रेरी से भगत सिंह के लिए किताबें निकालकर जेल के अंदर आ पाती थी !

भगत सिंह पर खासा काम करने वाले चमनलाल अपनी किताब भगत सिंह डॉक्यूमेंट्री में लिखते हैं ! की भगतसिंह को किताबें पढ़ने का इतना शौक था कि उन्होंने अपने स्कूल के साथी जयदेव गुप्ता को लिखा था ! कि वह उनके लिए कार लिफ्ट की लिपट लल्लन की लेफ़्टिज्म और अटल जल कल्चर उपन्यास कुलदीप के जरिए भिजवाई ! भगत सिंह जेल की कटिंग जिंदगी के आदी हो चुके थे !

  • कोटरी नंबर 14

उनकी कोटरी नंबर 14 का पक्का नहीं था उस पर घास उगी हुई थी ! कोटरी में बस इतनी सी जगह थी कि उनका 5 फुट 10 इंच का शरीर बड़ी मुश्किल से समा पाता था ! भगतसिंह को फांसी दिए जाने से 2 घंटे पहले उनके वकील प्राणनाथ मेहता उनसे मिलने पहुंचे थे ! मेहता ने बाद में लिखा था कि भगत सिंह अपनी छोटी-सी कोठरी में पिंजरे में बंद शेर की तरह चक्कर लगा रहे थे ! उन्होंने मुस्कुराकर मेहता का स्वागत किया और पूछा कि आप मेरी किताब रिवर्सनरी लाए कि नहीं !

जब मेहता ने उन्हें किताब दी तो वह उसे उन्हीं के सामने पड़ने लगे ! और मानो उनके पास अब ज्यादा समय ना बचा हो मेहता ने उनसे पूछा कि क्या आप देश को कोई संदेश देना चाहते हैं ! भगत सिंह ने किताब से मुंह हटाए बगैर ही कहा सिर्फ दो संदेश ! साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और इंकलाब जिंदाबाद इसके बाद भगतसिंह ने मेहता से कहा कि वह पंडित जवाहरलाल नेहरू और सुभाष बोस को मेरा धन्यवाद पहुंचा देना !

भगत सिंह की फांसी से पहले प्राणनाथ मेहता ने की आखरी मुलाकात

जिन्होंने मेरे केस में गहरी रूचि ली थी भगत सिंह के साथ ही रहे शिव वर्मा अपनी किताब विमेन सेलस फॉलो रिवॉल्यूशनरी में लिखते हैं ! की जिसमें भगत सिंह को रखा गया एक शाम हमारी जेल के ताले खोले गए और हमसे बाहर निकालने के लिए कहा गया ! सरकार चाहती थी कि भगतसिंह की फांसी से पहले हमें वहां से हटा दिया जाए ! गेट की तरफ जाने से पहले जेल के सुपरिंटेंडेंट ने हमसे पूछा क्या तुम अपने घरवालों से मिलना चाहोगे !

हमें भगत सिंह की कोठरी के बाहर ले जाया गया ! उन्हें देखते ही मेरी आंखों में आंसू आ गए भगतसिंह ने मुझे कहा यह भाव खाने का समय नहीं है ! जल्द ही मैं सारी चिंताओं से मुक्त हो जाऊंगा तुम वादा करो कि तुम हार नहीं मानोगे ! इतना कहकर उन्होंने अपने हाथ बाहर निकाल कर मेरे हाथों को पकड़ लिया ! जैसे ही जेल सुपरिंटेंडेंट ने यह दृश्य देखा उसने चिल्लाकर आदेश दिया ! की मिलने का समय समाप्त हो गया !

  • मेहता राजगुरु और सुखदेव से मिलने पहुंचे

यह मेरी भगत सिंह से आखरी मुलाकात थी भगतसिंह से मिलने के बाद मेहता राजगुरु से मिलने उनकी कोटरी पहुंचे ! राजगुरु के अंतिम शब्द थे हम लोग जल्द मिलेंगे सुखदेव ने मेहता को याद दिलाया ! कि वह उनकी मौत के बाद जेलर से वह कैरम बोर्ड ले ले ! जो उन्होंने कुछ महीने पहले दिया था !  मेहता के जाने के बाद थोड़ी देर बाद जेल अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों को बता दिया कि ! उनका फांसी का समय निकट आ गया है !

राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव को वक्त से 12 घंटे पहले  ही फांसी दी जा रही है !

भगतसिंह - bhagat singh

अगले दिन सुबह 6:00 बजे के बजाय उन्हें फांसी शाम 7:00 बजे चढ़ा दिया जाएगा ! भगतसिंह मेहता द्वारा दी गई किताब के कुछ पन्ने ही पढ़ पाए थे ! उनके मुंह से निकला क्या आप मुझे इस किताब का एक अध्याय भी खत्म नहीं करने देंगे ! भगत सिंह ने जेल के मुस्लिम सफाई कर्मचारी से अनुरोध किया ! कि वह उनके लिए फांसी दिए जाने से 1 दिन पहले वह शाम को अपने घर से खाना लाए !

लेकिन इतने में भगतसिंह की यह इच्छा पूरी नहीं कर पा सके ! भगतसिंह को 12 घंटे पहले फांसी देने का फैसला ले लिया गया  ! और भगत सिंह के परिवार वालो को जेल के गेट के अंदर घुसने ही नहीं दिया गया !

थोड़ी देर बाद तीनों क्रांतिकारियों को फांसी की तैयारी के लिए उनकी कोठियों से बाहर निकाला गया ! और भगतसिंह राजगुरु और सुखदेव ने अपने हाथ आपस में जोड़े और अपना प्रिय साथी गीत गाने लगे ! कभी वह दिन भी आएगा कि जब आजाद हम होंगे यह अपनी ही जमी होगी यह अपना आसमां होगा ! फिर इन तीनों का एक-एक करके वजन लिया गया सब का वजन बढ़ गया था इन सब से कहा गया था ! कि अपनी आखिरी सलाम करें उनको काले कपड़े पहनाए गए !

लेकिन उनके चेहरे खुले रहने दिए गए चरण सिंह ने भगतसिंह के कान में फुसफुस कर कहा कि ! वह गुरु को याद करो भगत सिंह बोले पूरी जिंदगी तो मैं ईश्वर को याद ही किया ! असल में मैंने गरीबों की क्लेश के लिए ईश्वर सही है ! अगर मैं उससे माफी मांगो तो वह कहेगा कि इससे बड़ा डरपोक कोई नहीं है ! इसका अंत नजदीक आ रहा है इसलिए यह माफी मांगने आया है !

  • लाहौर सेंट्रल जेल की घड़ी में 6:00 बजे

जैसे ही जेल की घड़ी में 6:00 बजे कैदियों ने दूर से आती भारी वोटों के जमीन पर पड़ने की आवाजें आ रही थी ! साथ में गाने का भी दबा हुआ स्वर सुनाई दे रहा था ! सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ! तभी अचानक जोर जोर से इंकलाब जिंदाबाद और हिंदुस्तान आजाद हो के नारे सुनाई देने लगे ! फांसी का तख्ता पुराना था फांसी देने के लिए मंत्री जिला को लाहौर के पास शाहदरा से बुलवाया गया !

भगतसिंह इन तीनों के बीच में खड़े थे वह अपनी मां को दिया गया वचन पूरा करना चाहते थे ! कि वह फांसी के तथ्य से नीचे इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाएं ! भगतसिंह पर किताब लिखने वाले प्रोफेसर बलविंदर अजीत सिंह ब्राइच लिखते थे ! लाहौर जिला कांग्रेस के सचिव पीड़िता सऊदी का घर सेंट्रल जेल से बिल्कुल लगा हुआ था ! उनके नारे की आवाज उनके गर तक सुनाई दे रही थी !

भगतसिंह की जिंदगी के आखिरी 12 घंटों की कहानी

फांसी

और भगतसिंह ने इतनी जोर से नारा लगाया की उनकी आवाज सुनते ही जेल के दूसरे कैदी भी नारे लगाने लगे ! तीनों युवा क्रांतिकारियों के गले में फांसी की रस्सी डाल दी गई उनके हाथ और पैर बांध दिए गए ! फिर जल्लाद ने पूछा सबसे पहले कौन जाएगा सुखदेव ने सबसे पहले फांसी पर लटकने की मांग की ! जल्लाद ने एक-एक की रस्सी खींची और उनके पैरों के नीचे लगे तकता को पैर मार कर हटा दिया गया !

काफी देर तक उनके शव तक्तों से लटकते रहे बाद में उन्हें नीचे उतारा गया ! और वहां मौजूद डॉक्टरों लेफ्ट रिनल कर्नल जे नेलसन और लेफ्टिनेंट कर्नल एवं एनएच सऊदी ने उन्हें मृत घोषित किया ! कुलदीप नैयर अपनी किताब विदाउट फीयर में लिखते हैं ! एक जेल अधिकारी फांसी का इतना असर हुआ कि उसे कहा गया ! कि वह मृतकों की पहचान करें तो उसने ऐसा करने से इंकार कर दिया ! उसे उसी जगह पर निलंबित कर दिया गया ! बाद में एक जूनियर अफसर ने इस काम को अंजाम दिया !

  • अंतिम संस्कार करने के लिए जेल की पिछली दीवार तोड़ी गई

पहले योजना थी कि इन सब का अंतिम संस्कार जेल के अंदर ही किया जाएगा !  लेकिन फिर यह विचार त्यागना पड़ा क्योंकि अधिकारियों को आभास हुआ ! कि जेल से धुआं उठता देख बाहर खड़ी भीड़ जेल पर हमला कर सकती है ! इसलिए जेल की पिछली दीवार तोड़ी गई उसी रास्ते से ट्रक जेल के अंदर लाया गया ! और उस पर बहुत अपमानजनक तरीखे से उन लोगों को एक सम्मान की तरह फेंक दिया गया !  पहले हुआ था उनका अंतिम संस्कार रवि के तट पर किया जाएगा लेकिन राखी में पानी बहुत ही कम था ! इसलिए सतलुज के किनारे शवों को जलाने का फैसला उनके पार्थिव शरीर को फिरोजपुर के पास सतलुज के किनारे लाया गया !

तब तक रात के 10:00 बज चुके थे इस बीच उप पुलिस अधीक्षक सुंदर सिंह ने कसूर गांव से पुजारी जगदीश को बुला लाए ! अभी उनके शवों में आग लगाई थी कि लोगों को इसके बारे में पता लग गया ! जैसे ही ब्रिटिश सैनिकों ने लोगों को अपनी तरफ आते देखा ! उन्होंने शवों को वहीं छोड़कर अपने वाहनों की तरफ भागे सारी रात गांव के लोगों ने अदजले शवों के चारों और पहरा दिया ! अगले दिन दोपहर के आसपास जिला मजिस्ट्रेट के दस्तखत के साथ लाहौर के कई इलाकों में नोटिस चिपका दिए गए !

इसमें बताया गया ! कि भगतसिंह सुखदेव और राजगुरु को सतलुज के किनारे हिंदू और सिख रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कर दिया गया ! इस खबर पर लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया आई और लोगों ने कहा कि ! उनका अंतिम संस्कार करना तो दूर उन्हें पूरी तरह जलाया भी नहीं गया !

  • भगतसिंह सुखदेव और राजगुरु की याद में शौक जुलूस (लाहौर)

जिला मजिस्ट्रेट ने इनका खंडन किया लेकिन किसी ने उस पर विश्वास नहीं किया ! इन तीनों के सम्मान में तीन वीर लंबा शौक जुलूस लाहौर के नीला मोहम्मद से शुरू हुआ ! पुरुषों ने विरोध स्वरूप अपनी हाथों पर काली पट्टियां बांध रखी थी ! और महिलाओं ने भी काली साड़ियां पहन रखी थी ! लगभग सभी लोगों के हाथ में काले झंडे थे !

लाहौर के मॉल्स से गुजरता हुआ जुलूस अनारकली बाजार के बीचो-बीच झाड़ू का यकायक पूरी भीड़ में उस समय सन्नाटा छा गया ! घोषणा की गई कि भगतसिंह का परिवार तीनों शहीदों के बच्चे हुए शवो के साथ फिरोजपुर से वहां पहुंच गया है ! जैसे ही फूलों से ढके 3 ताबूत में उनके शव वहां भीड़ भावुक हो गई !

लोग अपने आंसू नहीं रोक पाए थे वही मशहूर अखबार के संपादक मौलाना जफर अली ने एक नजम पढ़ी ! जिसका लबों रखा था कि किस तरह इन शहीदों के अदजले शवो को खुले आसमान के नीचे जमीन पर छोड़ दिया गया ! उधर भगत सिंह की फांसी के बाद वर्णन चरतसिंह सुस्त कदमों से अपने कमरे में पहुंचे और फूट-फूट कर रोने लगे ! अपने 30 साल के करियर में उन्होंने सैकड़ों फांसिया देखी थी लेकिन किसी ने मौत को इतनी बहादुरी से गले नहीं लगाया था !

जितना भगतसिंह और दो कारपोरेट ने और रोने कम से कम उस समय किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था ! कि 16 साल बाद उनकी शहादत भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के अंत का एक कारण साबित होगी !

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