दादा भाई नौरोजी – Dada Bhai Naoroji

दादा भाई नौरोजी - Dada Bhai Naoroji

दादा भाई नौरोजी का जन्म 4 सितंबर 1825 को मुंबई के एक गरीब पारसी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम नौरोजी पलाजी तथा माता का नाम मनेख बाई था! जब यह मात्र 4 साल के थे तब इनके पिताजी का निधन हो गया था। इनकी आरंभिक शिक्षा एलफिस्टन (मुंबई) में हुई थी। दादाभाई नौरोजी की शादी महज 11 साल की उम्र में गुलबाई से हो गई थी।

दादा भाई नौरोजी जीवन परिचय Dada Bhai Naoroji in hindi

जन्म4 सितंबर 1825
पिता का नामनौरोजी पलाजी
माता का नाममनेख बाई
पत्नी का नामगुलबाई
मृत्यु30 जून 1917
दादा भाई नौरोजी जीवन परिचय Dada Bhai Naoroji in hindi

मुख्य बिंदु :

  1. इन्होंने एलफिस्टन कॉलेज में ही गणित एवं प्राकृतिक दर्शन के अध्यापक के रूप में जीवन आरंभ किया था।
  2. 1855 में इन्होंने अध्यापक की नौकरी छोड़ पारसी व्यापार संस्था के रूप में लंदन गए।
  3. 1873 में बड़ौदा रियासत के दीवान बने।
  4. वे मुंबई नगर निगम मे निर्वाचित हो गए।
  5. 1892 में वे पहले भारतीय थे जो उदारवादी दल की ओर से ब्रिटिश संसद के सदस्य चुने गए।
  6. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1886, 1893 एवं 1906 में अध्यक्ष रहे।
  7. कांग्रेस का 1886 का अधिवेशन – कोलकाता में हुआ
  8. 1893 का अधिवेशन लाहौर में हुआ था।
  9. 1906 का अधिवेशन कोलकाता में हुआ था।

सन 18 दिसंबर 1885 में दिन में 12:00 बजे मुंबई के गोकुल दास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में भारतीय राष्ट्रीय संघ का पहला सम्मेलन हुआ था और दादा भाई नौरोजी की सिफारिश पर संघ नाम को हटाकर इनका नाम कांग्रेस कर दिया था। कांग्रेस शब्द नॉर्थ अमेरिका का शब्द है। इसका अर्थ होता है। शक्तिशाली लोगों का समूह। दादा भाई नौरोजी ने सबसे पहले कांग्रेस के अंदर ही सन 1906 में कोलकाता में स्वराज शब्द का प्रयोग किया था। सर्वप्रथम स्वराज्य शब्द का प्रयोग दयानंद सरस्वती ने किया था।

दादा भाई नौरोजी के आधुनिक भारत में उपनाम

  • भारत के वयोवृद्ध नेता,
  • भारत की आशा,
  • भारतीय अर्थशास्त्र के जनक एवं आर्थिक राष्ट्रवाद के जनक,
  • स्वराज की मांग करने वाले पहले कांग्रेस अध्यक्ष(1906)।
  • उदारवादी राष्ट्रवादी,
  • कांग्रेस के संस्थापकों में से एक एवं तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष रहे।

सामाजिक एवं राजनैतिक योगदान Dada Bhai Naoroji biography in hindi

  1. (1852) में स्थापित, मुंबई की पहली राजनैतिक संस्था की स्थापना में इनका योगदान था। गोखले ने कहा, यदि मनुष्य में कही देव है तो वह दादा भाई ही है।
  2. अंग्रेजों को भारतीय समस्याओं से अवगत कराने के लिए लंदन में लंदन इंडियन एसोसिएशन की स्थापना की एवं ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना की।
  3. 1906 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन के स्वरूप में घोषणा की थी।
  • प्रसिद्ध पुस्तक Dada Bhai Naoroji books list :
  1. “पोयट्री एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया” है।
  2. The Persian religien पुस्तक थी।
  • मुख्य पत्रिका :
  1. गुजराती भाषा में :- राष्ट्रीय गोपतार
  2. Voice of nations

दादाभाई नौरोजी सन 1874 ईस्वी में भारत वापस आए और 1876 में बड़ौदा राज्य के दीवान पद पर नियुक्त हुए। दादाभाई नौरोजी का किसी कारणवश रियासत के रेजिडेंट से मतभेद हो गया और उन्होंने दीवान पद से त्यागपत्र दे दिया था। दादा भाई अंग्रेज के उदारवादी आंदोलन के प्रबल पक्षधर थे। उनका विचार था कि सरकार को पशु बल पर नही नैतिक बल पर आधारित होना चाहिए।

दादा भाई अंग्रेजी शासन के हिमायती थे। उनका विचार था कि अंग्रेजी शासन भारत के लिए एक दैवीय वरदान है। उन्हे अंग्रेजों की न्याय प्रियता में पूर्ण विश्वास था। स्वराज्य के संबंध में दादा भाई नौरोजी के विचार हम दया की भीख नहीं मांगते हम तो केवल न्याय चाहते हैं। ब्रिटिश नागरिक के समान हम अधिकारों का जिक्र नहीं करते। हम स्वशासन चाहते हैं। उन्होंने भारतीयों के लिए तीन मांगे रखी।

  • भारतीयों को स्वराज्य पाने का अधिकार है।
  • भारतीयों की उच्च सरकारी पदों पर अधिकाधिक नियुक्त हो।
  • भारत और इंग्लैंड के बीच न्याय पूर्ण आर्थिक संबंध रहे।

 दादा भाई नौरोजी औपनिवेशिक स्वराज्य के समर्थक थे, स्वदेशी आंदोलन उनका धेय्य था वे राष्ट्रीय शिक्षा के पक्षधर थे तथा विदेशी वस्तुओं के विरोधी थे। दादा भाई नौरोजी ने एक पुस्तक की रचना की जिसका नाम था निर्धनता और भारत में ब्रिटिश शासन। इस पुस्तक में उन्होंने बताया कि अंग्रेजी शासनकाल में भारत की स्थिति बड़ी दयनीय रही है। भारतीयों की स्थिति दासों की तरह थी। भारतीयों को लूट कर माल इंग्लैंड भेजा जाता था और यह लूटमार अनवरत जारी रही। राष्ट्र को सुधारने का मौका ही नही था। वह भारत और इंग्लैंड के मध्य न्याय उचित आर्थिक संबंध चाहते थे।

Dada Bhai Naoroji in hindi ki मृत्यु :

दादा भाई नौरोजी की मृत्यु 30 जून 1917 में हुई वह एक महान देशभक्त नेता थे। उनके संबंध में डॉ. पट्टाभि सितारमैया ने लिखा है कि दादा भाई नौरोजी का नाम भारतीय देशभक्तों की सूची में सबसे पहले आता है। उनका कांग्रेस की स्थापना के समय मे ही इस से संबंध रहा और अपने जीवन में अंतिम दिन तक वह इसकी सेवा करते रहे थे। गोपाल कृष्ण गोखले ने उनके कार्यों का मूल्यांकन करते हुए कहा है कि अगर मनुष्य में कहीं दिव्यता हो सकती है तो वह दादा भाई नवरोजी में ही थी।

प्रोफेसर अलैबार ने दादा भाई नौरोजी को भारत की आशा कहा था। शिक्षा का प्रसार करने के लिए इन्होंने ज्ञान प्रसारक मंडल की स्थापना की। ब्रिटिश असेंबली में सदस्य बनने वाले पहले भारतीय थे। इनकी पार्टी का नाम कंजरव्हटिव पार्टी था। 1853 में मुंबई एसोसिएशन की स्थापना की थी। 1866 में लंदन में इंडियन एसोसिएशन की स्थापना की थी। 1867 में लंदन में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना की थी।भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना नेशनल इनकम में दादा भाई नौरोजी ने की थी। यह गणना 1876 में की गई थी। इसे राष्ट्रीय आय सिद्धांत कहा जाता है। दादा भाई नौरोजी ने धन निष्कासन का सिद्धांत दिया था।

People Also Ask About Dada Bhai Naoroji

  1. दादा भाई नौरोजी ने सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय का अनुमान कब लगाया था?

    सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय का अनुमान दादा भाई नौरोजी द्वारा 1867 से 1868 में लगाया गया था!

  2. दादा भाई नौरोजी राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष कब बनाए गए थे?

    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दादा भाई नौरोजी 1886, 1893 एवं 1906 में अध्यक्ष रहे।

  3. दादा भाई नौरोजी के पिता का क्या नाम था?

    नौरोजी के पिता का नाम नौरोजी पलाजी था!

  4. दादा भाई नौरोजी द्वारा कौन सा समाचार पत्र प्रकाशित किया गया था?

    दादा भाई नौरोजी ने गुजराती भाषा में राष्ट्रीय गोपतार समाचार पत्र तथा Voice of nations समाचार पत्र प्रकाशित किया था!

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