गौतम बुद्ध – Gautam buddha

गौतम बुद्ध - Gautam buddha

गौतम बुद्ध Gautam buddha एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया।

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय Gautam buddha in hindi :-

नामगौतम बुद्ध
जन्म563 ई.पूर्व
जन्म स्थानलुंबिनी गांव
पिता का नामशुद्धोधन
माता का नाममहामाया
मृत्यु483 ई .पूर्व
gautam buddha history in hindi

1. जन्म gautam buddha date of birth :-

गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई.पूर्व में हुआ था और 483 ई .पूर्व इनको निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। इनका जन्म स्थान लुंबिनी गांव – जो कपिलवस्तु नगर के निकट है। उनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था।

2. पिता का नाम :- 

गौतम के पिताजी का नाम शुद्धोधन था। यह शाक्य गण के मुख्या थे ऐसा माना जाता है कि यह शाक्य गण, एक तरह का गणतंत्रात्मक राज्य था। शुद्धोधन जनता द्वारा चुने गये राजा थे।

3. माता का नाम :-

गौतम की माता जी का नाम महामाया था। गौतम बुद्ध के जन्म से 7 दिन बाद महामाया की मृत्यु हो जाती है। जिसके कारण इनका पालन पोषण उनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी ने किया था।

4. गौतम बुद्ध का विवाह :-

मात्र 16 वर्ष की आयु में गौतम का विवाह कर दिया जाता है शाक्य कुल की पुत्री यशोधरा से विवाह किया जाता है। आगे चलकर उनके एक पुत्र होता है जिसका नाम राहुल था। बचपन में एक महाराज ने गौतम बुद्ध के बारे में भविष्यवाणी की थी कि यह सन्यासी बनेंगे। इनके कारण इनके घर वाले चिंतित रहते थे।

5. सन्यासी बनने का कारण :-

एक बार सिद्धार्थ अपने राज्य कपिलवस्तु में भ्रमण करने के लिए निकलते है। वहा पर रास्ते में वह एक वृद्ध व्यक्ति को देखते हैं। आगे चलकर एक बीमार व्यक्ति को देखते हैं। आगे तीसरा एक शव यात्रा को देखते हैं और चौथी बार में एक सन्यासी को देखते हैं जो मोक्ष प्राप्ति के लिए अपनी पूजा पाठ में लीन था। इन घटनाओं को देखकर वह सन्यासी बनने का मन बना लेते हैं।

गौतम बुद्ध ने मात्र 29 वर्ष की आयु में ही गृहत्याग कर दिया था। इसी गृहत्याग की घटना को महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है। सिद्धार्थ अपना राज्य कपिलवस्तु और पूरा राज-पाठ, मोह-माया छोड़कर सन्यासी रूप धारण कर लेते हैं।

बौद्ध धर्म के प्रमुख स्थान Gautam buddha quotes hindi :-

  1. लुंबिनी
  2. श्रावस्ती
  3. बोधगया
  4. संकीसा
  5. सारनाथ
  6. राजगीर
  7. कुशीनगर
  8. वैशाली

1. वैशाली :-

यह कपिलवस्तु नगर से निकलकर वैशाली में पहुंच जाते हैं। वहां पर अलारकलाम जी के आश्रम में चले जाते हैं। अलारकलाम एक ऋषि थे जो शाक्य दर्शन के थे। यह अपनी साधना शक्ति के लिए प्रसिद्ध थे। इनको गौतम बुद्ध अपना गुरु बना लेते हैं। इसके अलावा गौतमबुद्ध एक और ऋषि उद्रक से मिलते हैं। यहां से गौतमबुद्ध उरूवेला स्थान पर पहुंचते हैं। इनके निकट ही एक स्थान है। “बोधगया”

2. उरूवेला :-

उरूवेला में इनको पांच साधक मिलते हैं। सिद्धार्थ भी उन साधको में मिल जाते हैं और साधना करने लग जाते हैं। यहां पर पूरी तरह से साधना नहीं कर पाते हैं और यहां से निकलकर बोधगया स्थान पर पहुंच जाते हैं। बोधगया के निकट ही निरंजना नदी प्रवाहित होती है।

3. बोधिवृक्ष :- 

इन्होने जिस पेड़ के नीचे बैठकर साधना की थी। उस पेड़ को बोधिवृक्ष कहा जाता है। गौतम बुद्ध ने नीरंजना नदी के तट पर पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर साधना की थी। यहां पर कठिन तपस्या करते हैं। इसके बाद गौतम बुद्ध को 35 वर्ष की आयु में ज्ञान की प्राप्ति होती है।

  • सम्बोधि :-

गौतमबुद्ध की ज्ञान प्राप्ति की घटना को सम्बोधि जाता है।

  • गौतम बुद्ध की उपाधि :- 

जब सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति होती है तब उन्हें महात्मा बुद्ध कहा जाने जाता है बुद्ध का मतलब जाग्रत होता है। इनके और भी नाम है जैसे :- तथागत व शाक्य मुनि। तथागत का मतलब है “सत्य है ज्ञान जिसका” ।

  • दो शिष्य :-

गौतम को बोधगया में ही दो सौदागर तपुस्स व मल्लिक मिलते हैं। यह दोनों ही सौदागर थे। इन्हें बंजारा भी कहा जाता था। यहां पर यह दोनों गौतम बुद्ध के शिष्य बन जाते हैं।

4. सारनाथ :-

बोधगया में गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद वे सारनाथ चले जाते हैं और सारनाथ में 5 विद्यार्थियों को प्रथम उपदेश देते है।

  • पंचवर्गीय :-

गौतम बुद्ध ने सारनाथ में जिन 5 विद्यार्थियों को उपदेश दिया था, उन्हें पंचवर्गीय कहा जाता है।

  • धर्म चक्र प्रवर्तन :-

गौतम की ज्ञान प्राप्ति के उपदेश सारनाथ में देने की घटना को धर्म चक्र प्रवर्तन कहा था। इन्हीं 5 विद्यार्थियों के साथ ही गौतम बुद्ध ने सारनाथ में ही संघ की स्थापना की थी और यहां से अपने शिष्यों को चारों दिशाओं में बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के भेज दिया था। डॉक्टर राजभली पांडे ने इस संघ को सर्वप्रथम धर्म का प्रचार करने वाला संग कहा था।

गौतम बुद्ध द्वारा काशी की यात्रा Gautam buddha history :-

सारनाथ से गौतम सीधे काशी चले जाते हैं। काशी में एक व्यापारी जिसका नाम यश था, वो इनके शिष्य बनते हैं। उसके बाद वह फिर से उरूवेला आ जाते हैं। उरुवेला में तीन भाई इनके शिष्य बन जाते हैं, जिनका नाम था मुख्यकश्यप, नदीकश्यप और गयाकश्यप था। इसके बाद गौतम बुद्ध राजगीर आ जाते हैं। उस समय मंगध की राजधानी हुआ करती थी।

उस समय मंगध में बिम्बिसार शासन कर रह थे। राजगीर में बिम्बिसार इनका स्वागत करते हैं और बिम्बिसार उनको वेलुवन उद्यान भेंट स्वरूप देते है इस वेलुवन में वह वर्षाकाल में रहा करते थे। राजगीर (मंगध) में ही सावीपुत्र और महाभैदिगलायन इन दोनों ने ही गौतम बुद्ध को अपना गुरु बनाते हैं। अर्थात इनके शिष्य बन जाते हैं। इसके बाद वह भ्रमण करते हुए अपने गृहनगर कपिलवस्तु में पहुंच जाते हैं।

वहां उनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी इनके सामने उनकी शिष्या बनने की इच्छा प्रकट करती है। परंतु गौतम बुद्ध उन्हे मना कर देते हैं क्योंकि उनका मानना था कि संघ में महिलाओं का प्रवेश उचित नहीं है। परंतु बाद में आगे चलकर संघ में महिलाओं का प्रवेश चालू हो जाता है लेकिन वह महाप्रजापति गौतमी के पुत्र नन्द इनके शिष्य बन जाते हैं। इसके बाद वो वैशाली नगर चले जाते हैं। यहां पर गौतमबुद्ध द्वारा महिलाओं को संघ में प्रवेश की स्वीकृति दे देते हैं।

महिलाओं का बौद्ध संग में प्रवेश Gautam buddha hindi :-

गौतम के वैशाली में  प्रिय शिष्य आनंद के कहने पर संघ में महिलाओं को प्रवेश दिया था। वैशाली में ही महाप्रजापति गौतमी उनकी पहली महिला शिष्या बनती है। वैशाली के लिच्छवियों के द्वारा इनके लिए महावन-उद्यान में कुटाग्रशाला आश्रम की स्थापना की थी। इसके बाद वैशाली में एक नगर वधू थी, जिसका नाम था आम्रपाली गौतम बुद्ध की शिष्या बनती है और आम्रपाली ने बौद्ध धर्म के लिए आमवाटिका बौद्ध संघ को दान कर देती है।

अन्य प्रिय शिष्य :- आनंद, उपालि और देवदत्त थे।

सर्वाधिक उपदेश :- गौतम बुद्ध ने अपने सर्वाधिक उपदेश कोसल की राजधानी श्रीवस्ती में दिए थे।

निर्वाण :- गौतम को 80 वर्ष की आयु में निर्वाण की प्राप्ति होती है। 483ई. पूर्व में। कुशीनारा मे प्राप्ति हुई थी। ( निर्वाण :- इसका आशय है। मोक्ष, मुक्ति, परम गति होता है। )

इस घटनाक्रम को बौद्ध धर्म ग्रंथों में महापरिनिर्वाण कहा जाता है। इनकी मृत्यु के बाद उनका शरीर आठ भागों में बांटा गया था और उनसे 8 स्तूपो का निर्माण किया गया था।

  1. कपिल वस्तु के शाक्य
  2. वैशाली के लिच्छवी
  3. अलकल्प के बुल्ली
  4. रामगाम के कोलिय
  5. पिप्पलिवन के मोरिय
  6. वेठद्वीप के ब्राह्मण
  7. मगघराज अजातशत्रु
  8. पावा व कुशीनारा के मल्लइन सभी स्थानो पर गौतम बुद्ध के शरीर के अवशेषो को ले जाकर स्पूतो का निर्माण करवा!

बौद्ध संघ की स्थापना Gautam buddha hindi quotes :-

बौद्ध संघ की स्थापना सारनाथ में गौतम बुद्ध द्वारा की गई थी। यह संगठन गण तांत्रिक प्रणाली पर आधारित था इस संघ में शारीरिक विकलांग, अस्वस्थ, ऋणी, सैनिक और दासो का प्रवेश वर्जित था।

यह संग दो भागो (1) भिक्षु (2) उपासक में विभाजित था। भिक्षुणी संघ की स्थापना सर्वप्रथम वैशाली में हुई थी। परवना और उपोस्थ सामारोह बौद्ध धर्म से संबंधित थे। पावापुरी में गौतमबुद्ध पेचिस से पंडित हो गए थे। गौतम बुद्ध ने अपने शिष्य महाकच्चायन को उज्जैन भेजा था।

बौद्ध धर्म की मान्यताएं / दर्शन :-

यह धर्म अनीश्वरवादी, क्षणिकवादी, अन्त: शुद्धिवादी, कर्मवादी और अनात्यवादी है। यह धर्म पुनर्जन्म में विश्वास रखता है।

त्रिरत्न :-

  1. बुद्ध
  2. संघ
  3. धम्म

प्रमुख प्रतीक चिन्ह :-

  1. जन्म्- कमल 
  2. निर्वाण- पदचिन्ह,  
  3. ग्रह त्याग- घोड़ा, 
  4. मृत्यु -स्तूप,
  5.  ज्ञान प्राप्ति – बोधिवृक्ष,
  6. गर्भ – हाथी,
  7. समृद्धि – शेर,
  8. पहला उपदेश – चक्र।

प्रमुख प्रतीक चिन्ह :-

  1. बौद्ध धर्म के प्रथम संगीति :- 483ई. पूर्व में राजगीर में हुई थी। उस समय वहां का अध्यक्ष महाकश्यप तथा संरक्षक – अजातशत्रु थे।
  2. बोद्ध धर्म की दूसरी संगीति :- 383ई. पूर्व में वैशाली में हुई थी। उस समय अध्यक्ष सब्बकमीर तथा संरक्षक – कालाशोक थे।
  3. तीसरी बौद्ध संगीति :- 250 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र में हुई उस समय अध्यक्ष मोगलीपुत्र तिस्स, तथा संरक्षक – अशोक थे।
  4. चौथी बौद्ध संगीति :- 72 ई.पू. में कुंडलवन में हुई थी उस समय अध्यक्ष – वसुमित्र तथा संरक्षक – कनिष्क है।

गौतम बुध के तपस्सु और मल्लिक प्रथम दो अनुयायी थे।

बौद्ध धर्म के संरक्षक राजा :- 

  1. बिंबिसार
  2. उदयन
  3. कनिष्क
  4. हर्षवर्धन
  5. प्रसेनजीत
  6. सहसी वंश 
  7. पाल वंश
  8. प्रधोत
  9. अशोक व दशरथ

बौद्ध धर्म के प्राचीनतम ग्रंथ :-

  • 1. सुतपिटक, 2. विनयपिटक,  3. अभिधम्म इन सभी को संयुक्त रूप से त्रिपिटक कहा जाता है।
  • त्रिपिटक की भाषा पाली भाषा है।
  • गौतम बुद्ध ने अपने उपदेश पाली भाषा में दिए थे।

अन्य महत्वपूर्ण बौद्ध ग्रंथ :-

“प्रज्ञापारयिता” यह पुस्तक महायान संप्रदाय की सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसके लेखक नागार्जुन थे। जातक :- इसमें भगवान बुद्ध के 84000 पूर्व जन्मों की 500 से अधिक गाथाएँ है।

गौतम बुद्ध की मृत्यु :-

 483 ई .पूर्व इनकी मृत्यु हो गयी थी यह घटना महापरिनिर्वाण कहलाती है।

अन्य टॉपिक :

People Also Ask About Bal Gautam buddha

  1. Gautam buddha का जन्म कब हुआ था?

    गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई.पूर्व में हुआ था और 483 ई .पूर्व इनको निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। इनका जन्म स्थान लुंबिनी गांव – जो कपिलवस्तु नगर के निकट है। उनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था।

  2. भगवान बुद्ध के पूर्वज कौन थे?

    गौतम के पिताजी का नाम शुद्धोधन था। यह शाक्य गण के मुख्या थे ऐसा माना जाता है कि यह शाक्य गण, एक तरह का गणतंत्रात्मक राज्य था। शुद्धोधन जनता द्वारा चुने गये राजा थे।

  3. Gautam buddha क्या भगवान को मानते थे?

    गौतम बुद्ध भगवान को मानते थे!

  4. गौतम बुद्ध का जन्म कहा हुआ था?

    इनका जन्म लुंबिनी गांव में हुआ था जो कपिलवस्तु नगर के निकट है।

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