इस पोस्ट मे हम आपको सुभाष चंद्र बोस की सम्पूर्ण जीवनी के बारे मे बताएंगे –
सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। तथा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिंद का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूँगा” का नारा भी उनका था।
सुभाष चन्द्र बोस ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने ‘सुप्रीम कमाण्डर’ के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए “दिल्ली चलो!” का नारा दिया था तथा जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इंफाल और कोहिमा में एक साथ जमकर मोर्चा लिया था।
सुभाष चन्द्र बोस | |
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जन्म | 23 जनवरी 1897, कटक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | बी०ए० (आनर्स) |
शिक्षा प्राप्त की | कलकत्ता विश्वविद्यालय |
प्रसिद्धि कारण | भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी तथा सबसे बड़े नेता |
राजनैतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1921–1940, फॉरवर्ड ब्लॉक 1939–1940 |
जीवनसाथी | एमिली शेंकल |
बच्चे | अनिता बोस फाफ |
जीवन परिचय :-
- जन्म :- नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था।
- पिताजी का नाम :- इनके पिता जी का नाम जानकीनाथ था यह प्रसिद्ध वकील थे।
- माता जी का नाम :- इनके माता जी का नाम प्रभावती देवी था।
- सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक गुरु :- चितररंजन दास तथा अपना आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद जी को मानते थे।
- पत्नी का नाम :- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पत्नी का नाम एमिलि था।
- बेटी का नाम :- अनीता
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के प्रमुख नारे :-
- जय हिंद,
- दिल्ली चलो,
- तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
मृत्यु :-
18 अगस्त 1945 फारमोसाद्वीप ताइवान टोक्यो जाते समय हवाई दुर्घटना के कारण मृत्यु हुई थी। इनका शव नही मिला था।
रचना :-
इंडियन स्ट्रगल की रचना। यह एक प्रसिद्ध पुस्तक है।
प्रारंभिक शिक्षा :-
सुभाष चंद्र बोस नेताजी की प्रारंभिक शिक्षा कटक के रेवेशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई थी। स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद नेताजी ने इंग्लैंड में केब्रिज विश्वविद्यालय में अपनी आगे की पढ़ाई की थी। सन 1920 में इन्होंने सिविल से सिविल सर्विस (i.c.s.) की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था। इन्होंने इस पद पर नियुक्ति से पहले ही त्याग पत्र दे दिया था। ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय थे। इसके बाद वे भारत लौट आए थे।
महत्वपूर्ण कार्य :-
10 दिसंबर 1921 को भारत आने के बाद प्रिंस ऑफ वेल्स का विरोध किया था। इसके कारण इन्हे जेल भी जाना पड़ा था। सन 1930 में कोलकाता के महापौर भी बने थे। सुभाष चंद्र बोस कांग्रेश के नरमपंथी विचारधारा के विरोधी थे। सन् 1938 में हीरापुरा (गुजरात) और 1939 में त्रिपुरी (मध्य प्रदेश) अधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने थे। विरोध के कारण अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देकर 3 मई 1939 को कोलकाता में उन्होंने फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की थी। 17 जनवरी 1941 को वह पुलिस को चकमा देकर कोलकाता स्थित घर से पठान के वेश में निकल गये थे। रूस के से होते हुए मार्च 1941 में बर्लिन (जर्मनी) पहुंच गए थे। वहां पर फ्री इंडिया सेंटर की स्थापना की थी।
आजाद हिंद फौज की स्थापना :-
15 दिसंबर 1941 को मोहन सिंह ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी। इस फोज में 50000 अधिकारी व सिपाही थे। प्रारम्भ में मोहन सिंह इसके प्रथम सेनापति थे जिन्होंने इस फौज की स्थापना मलाया में की थी। 7 जुलाई 1943 को आजाद हिंद फौज का नेतृत्व सुभाष चंद्र बोस को सौंप दिया गया था।
सुभाष चंद्र बोस द्वारा स्थाई सरकार की स्थापना :-
21 अक्टूबर 1943 को सिंगापुर में सुभाष चंद्र बोस द्वारा अस्थाई सरकार की स्थापना की गई थी। सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट बनाई थी, जिसकी कप्तान लक्ष्मी सहगल को नियुक्त किया गया था।
सुभाष चंद्र बोस का स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष :-
देश को आजाद कराने के लिए नेताजी शाम, दाम, दंड, भेद किसी भी तरीके से देश को आजाद करना चाहते थे। नेताजी ने विदेश में रहकर भी देश की आजादी के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।