महाभारत पुराण के भाग 1 में आपने जाना था श्री कृष्ण का जन्म और कंस के अत्याचार के बारे में ! आज हम आपके लिए महाभारत पुराण की कहानी का भाग 2 लेकर आए हैं ! जिसमे राक्षसी पूतना श्री कृष्ण के बारे में विस्तार से जानेगे की पूतना को भगवान श्री कृष्ण ने केसे मारा था ! Story of the demonic Putna Shri Krishna in Hindi
राक्षसी पूतना श्री कृष्ण को मारने आई गोकुल कहानी महाभारत पुराण का भाग 2 shri krishna demonic putna in hindi
मथुरा नगरी में कंस का राज्य अभिषेक हो जाने के बाद कंस ने अपने राज्य मथुरा में अपना आतंक फैला दिया ! जिसमें उसने कई नवजात बच्चों की उनकी माताओं से छीन कर हत्या कर दी ! धीरे-धीरे समय बीतता गया और एक दिन जब नंदराय जी मथुरा नगरी आ पहुंचे ! उन्होंने महाराज कंस को बताया कि हमारे घर एक पुत्र ने जन्म लिया है ! इस बात की महाराज कंस ने उन्हें बधाई दी क्योंकि नंदराय जी गोकुल के अधिपति थे ! इस कारण महाराज कंस नंद राय जी का बड़ा आदर करते थे ! और कंस ने उनसे पूछा कि आपके घर पुत्र का जन्म कब हुआ था और नंद राय जी बताते हैं ! कि हमारे घर पुत्र की प्राप्ति अष्टमी के दिन हुई !
यह बात सुनकर कंस राजसभा का त्याग कर अपने शयनकक्ष में चला जाता हैं और अपने विशेष चतुर मंत्री चारुड़ से मंत्रणा करता है ! की देवकी के अष्टम गर्भ से जो बालिका ने जन्म लिया था वही अष्टमी के दिन ही था और कंस को पता चल जाता है कि ! किसी ने उसे धोखा देकर देवकी के अष्टम गर्भ से जन्मे बालक को किसी ने छल से बदल दिया था ! इस लिए कंस ने नंद राय जी के पुत्र को मारने के लिए राक्षसी पूतना को बुलवाया !
राक्षसी पूतना के द्वारा भगवान श्री कृष्ण की हत्या की कोशिश
राक्षसी पूतना का शरीर बाकी और से कहीं गुना बड़ा था वह मथुरा से गोकुल जाती है, और एक सुंदर ब्राह्मणी का रूप धारण कर लेती है ! पूतना ब्राह्मणी का रूप धारण कर नंदराय जी के घर पहुंच जाती है और उनसे कहती है कि ! मैं मथुरा की रहने वाली हूं और मेरे पति एक सिद्ध ब्राह्मण है ! जिन्होंने अपने दिव्य दृष्टि से देखा कि नंदराय जी के घर एक दिव्य बालक ने जन्म लिया है !
देवी यशोदा से कहती है कि मैं आपके पुत्र के दर्शन करने आई हु ! पूतना अपनी माया के जाल में उन्हें फंसा लेती है और भगवान श्री कृष्ण को अपने पास ले लेती है ! वह उनसे कहती है कि मुझे एक सिद्धि प्राप्त है ! मेरे स्तन. से निरंतर अमृत रस जड़ता रहता है अगर मैं अपने स्तन का अमृत तेरे लल्ला को पिला दूं ! तो तेरा लल्ला अमर हो जाएगा ! इन मीठी बातों में फंसा कर पूतना अपने स्तन. का जहरीला दूध भगवान श्री कृष्ण को पिला देती हैं !
श्री कृष्ण के हाथो राक्षसी पूतना का वध
लेकिन भगवान श्री कृष्ण तो स्वयं ही एक बहुत ही चमत्कारी बालक थे ! जैसे ही राक्षसी पूतना अपना दूध पिलाती है तो उल्टा असर राक्षसी पूतना को ही होता है ! जिससे पूतना के पूरे शरीर में जलन होने लगती है और वे अपने उसी विकराल रूप को धारण कर लेती है ! भगवान श्री कृष्ण को लेकर आकाश में उड़ जाती है राक्षसी पूतना ! के कई संभव प्रयास करने के बावजूद भी वह श्री कृष्ण से नहीं छूट पाती ! सारा विश पूतना को ही चढ जाता है जिससे पास के एक जंगल में आकर गिर जाती है ! जहर के कारण राक्षसी पूतना वहीं पर मर जाती है !
यह सब देख कर नंदराय जी और यशोदा घबरा जाते हैं और उसके पीछे पीछे जंगल में जाते हैं ! तो देखते हैं कि पूतना जमीन पर मरी हुई पड़ी रहती है और भगवान श्री कृष्ण उसके विक्राल शरीर पर खेल रहे होते हैं ! इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने राक्षसी पूतना को मार गिराया था ! इस चमत्कार को देखकर गोकुल वासी यशोदा के लल्ला को एक चमत्कारी बालक कहकर सम्बोदित करते है ! कहते हैं कि श्री कृष्ण ही हमारा तारणहार है जो हमें कंस के अत्याचारों से मुक्त करवाएगा !
कंस ने एक चतुर राजपुरोहित को भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए गोकुल भेजा
जब कंस को इस बात का पता चलता है कि नंद राज जी के लल्ले श्री कृष्ण के हाथों पूतना का वध हो गया है ! तो कंस निश्चित रूप से समझ जाता है कि वही देवकी का आठवां पुत्र है जिसके लिए आकाशवाणी हुई थी ! कुछ दिन बीत जाने के बाद महाराज कंस ने एक चतुर राजपुरोहित को भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए गोकुल नंदराय जी के घर भेजा ! लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने अपने चमत्कार से राक्षसी पूतना की तरह उसे मारा तो नही बल्की, राजपुरोहित को हाथ और पैरों से अपंग बना दिया !
- राक्षस कागासुर –
यह सब देखकर कंस भयभीत होने लगा कि कहीं आकाशवाणी सत्य ना हो जाए और ! उसने एक बड़े राक्षस जिसका नाम कागासुर था उसको भेजा ! कागासुर ने भगवान श्री कृष्ण को आग से जलाने की कोशिश की लेकिन जला नहीं पाया ! और कागासुर स्वयं ही मारा गया और राक्षस कागासुर मथुरा में कंस के सामने जा गिरा !
- राक्षस उत्कर्च –
इन सब के मारे जाने के बाद भी कंस बाज नहीं आया और अपने परम मित्र राक्षसउत्कर्च (जो दिखता नहीं है) को भेजा ! उत्कर्च ने गोकुल में जाकर आतंक मचा दिया और भगवान श्री कृष्ण को मारने कि अधिक से अधिक कोशिश की ! लेकिन वह कामयाब नहीं हुआ और भगवान श्री कृष्ण ने अपने पैर के अंगूठे से उत्कर्च पर वार किया ! वार इतना भयंकर था की राक्षस उत्कर्च यमुना नदी में जा गिरा ! जिससे उसकी मृत्यु हो गई इन सभी राक्षसो को मरता देखेकर कंस ने कुछ समय तक शांत रहना ही उचित समझा !
- आगे की कहानी——- भाग 3
अधिक जानकारी —
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Bhai, content writing me to bahut mehnat kari he but designing me nahi.
ji jrur