नारायणी माता का जीवन परिचय (Narayani Mata)

नारायणी माता का जीवन परिचय (Narayani Mata)

नारायणी माता भारत के राज्य राजस्थान के अलवर जिले की राजगढ़ तहसील मे स्थित बरवा की डूंगरी की तलहटी में नारायणी माता प्रसिद्ध मंदिर लोकतीर्थों में से एक है ! यह मंदिर बहुत ही सुन्दर और मनमोहक है इस भव्य मंदिर का निर्माण बहुत ही सुंदर कलाकृति से किया गया है !

  • नारायणीमाता अलवर (राजस्थान) Narayani Mata alwar
  • मन्दिर का निर्माण 11वीं सदी में प्रतिहार शैली से करवाया गया

नारायणी माता का जीवन परिचय narayani mata history in hindi, (Biography of Narayani Mata in hindi)

नारायणी माता यहाँ पर नारायणी नामक महिला अपने पति के साथ सती हुई थी ! मौरागढ़ (अलवर) निवासी विजयराम नाई के विवाह के काफी वर्षों तक संतान नहीं हुई थी ! विजयराम और उनकी पत्नी रामवती की शिव भक्ति से एक कन्या करमेती का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी विक्रमी संवत् 1006 को हुआ ! जिसे हम नारायणी माता के नाम से जानते हैं !

नारायणी माताजी का चमत्कार (Miracle of Narayani Mata)

युवावस्था में नारायणी माता का विवाह राजोरगढ़ (टहला, अलवर) के गणेश पुत्र कर्णेश से हुआ था ! विदाई के बाद नारायणी माता अपने पीहर से ससुराल जा रही थी ! आवागमन के कोई उपयुक्त साधन नही होने के कारण दोनो ने पैदल ही सफर करना शुरू कर दिया ! गर्मियों के दिन थे और धूप भी इतनी तेज थी की ओर पैदल चलना मुश्किल था ! तो नारायणी माता और उनके पति ने धूप में आराम करके जब दिन थोड़ा ठंडा हो जाएगा ! तब आगे का रास्ता तय करने की सोची और तब उनको एक बड़ा बरगद का पेड़ दिखाई दिया !
  • नारायणीमाता के पति की मृत्यु की कथा (Narayani Mata’s husband death Story)
जिसकी गहरी छाया में उन्होंने आराम करने का मन बना लिया और बरगद के नीचे जाकर दोनो सो गए ! पैदल चलकर रास्ता तय करने की वजह से दोनो पूरी तरह थक चुके थे सोते ही दोनों को गहरी नींद आह गई ! नींद आने के बाद पता ही नही चला की उनके पति को एक साप ने डस लिया था ! जिससे उनके पति की मृत्यु हो गई जब सूर्य अस्त होने लगा तो नारायणी माता की नींद जगी ! तो उन्होंने उठकर अपनी पति देव को आवाज लगाई पर कोई जवाब नही मिला तो ! नारायणीमाता उनके समीप जाकर उठाने की कोशिश की कहा कि रात्री होने वाली है !
घर नहीं चलना है क्या, लेकिन उनकी तो मृत्यु हो चुकी थी तभी साम के समय को मीणा जाति के लोग अपने अपने घरों के जानवरों को लेकर अपने घर जा रहे थे ! वह नारायणी ने उन मीणा जाति के युवकों से कहा कि मेरा पति मर चुका है और ! आप चिता के लिए जंगल से लकड़ी इकट्ठी कर दें !
  • माता नारायणी अपने पति के सात हुई सती (Mata Narayani)
यह सुनकर उन युवकों ने जंगल से लकड़ी इकट्ठी कर चिता की तैयारी कर दी ! तो बाद में नारायणी माता ने अपने पति के शव को गोद में रखकर सती हो गई ! तब उसी समय भविष्यवाणी (आकाशवाणी) हुई और कहा कि हे ग्वालों ! तुमने मेरी सहायता की है इस उपकार के बदले तुम्हें क्या चाहिए ! तो ग्वालों ने कहा कि माताजी इस जंगल में पानी की कमी है ! तब माताजी ने कहा कि कोई भी ग्वाला एक लकड़ी लेकर इस स्थान से भागे और पीछे मुड़ कर मत देखना ! जहाँ तक वह भागते हुए जायेगा उस स्थान तक जलधारा पहुँच जाएगी ! लेकिन वह ग्वाला केवल 3 किलोमीटर तक ही दौड़ सका ! इतना दौड़ने के बाद उसका मन रहा नहीं और उसने पीछे देख लिया तो ! वह जल की धारा वहीं पर रूक गई !

नारायणी माता का मंदिर (Narayani Mata Temple)

वर्तमान अब भी उस बरगद के पेड़ के नीचे जहाँ पर नारायणी माता के पति को सर्प ने काटा था उसी स्थान पर माताजी का भव्य मंदिर बना हुआ है  ! और वहीं से एक जलधारा अनवरत रूप से निकल रही है और वह केवल 3 किलोमीटर तक ही बहती है ! मंदिर और वो जगह बहुत ही मनमोहक है !
जहाँ पर नारायणी माता सती हुई थी वहाँ पर ही मन्दिर का निर्माण 11वीं सदी में प्रतिहार शैली से करवाया गया ! मंदिर के कक्ष के गर्भगृह में माता की मूर्ति लगी हुई है ! और मंदिर के ठीक सामने संगमरमर का एक कुण्ड है ! जो मंदिर के ठीक पीछे से एक प्राकृतिक जलधारा बहकर संगमरमर के कुण्ड में पहुँचती है !
  • नारायणीमाता का मेला (Narayani Mata Fair)
यहाँ प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ल एकादशी को नारायणी माता का मेला लगता है ! यद्यपि नारायणी माता का मंदिर सभी वर्गों के लिए और सम्प्रदायों के लिए श्रद्धा का स्थल है ! फिर भी नाई जाति के लोग इसे अपनी कुल देवी मानते हैं !
  • नारायणीमाता मंदिर का विवाद (Narayani Mata Temple Controversy)
इस मंदिर का पुजारी मीणा जाति का होता है नाई जाति और मीणा जनजाति के मध्य इस देवी के मंदिर के चढ़ावे को लेकर विवाद चल रहा है जो वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है !

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