देवनारायण जी का जीवन परिचय – Devnarayan ji

देवनारायण जी का जीवन परिचय - Devnarayan ji

 देवनारायण जी भारत के राजस्थान राज्य के प्रसिद लोक देवता है जिन्होंने जिन्होंने बैसाला कबीले की स्थापना की थी ! इतिहास के अनुसार वह विष्णु के एक अवतार थे और उन्हें एक लोक देवता के रूप में पूजा जाता है ! क्योकि उन्होंने अपना सारा जीवन लोग कल्याण में बिता दिया आज हम उन्ही वीर योधा के जीवन के बारे में विस्तार से जानेगे !

लोक देवता देवनारायण जी का जन्म परिचय (Devnarayan ji Birth and introduction)

  • लोक देवता देवनारायण जी भगवान
  • बचपन का नाम – उदयसिंह
  • देवनारायणजी का जन्म – 1243 ई. (विक्रम संवत् 1300) में
  • वंश – बगड़ावत नागवंशीय गुर्जर परिवार में हुआ।
  • दादा का नाम – बाघसिंह
  • पिता का नाम – सवाईभोज
  • माता का नाम – सेढू खटाणी
  • पत्नी का नाम – पीपलदे
  • घोड़े का नाम – लीलागर
देवनारायण जी को आयुर्वेद का बहुत ही अच्छा ज्ञान था माना जाय तो ! आयुर्वेद के ज्ञाता थे देवनारायण जी के पिता सवाई भोज भिनाय (अजमेर) के शासक दुर्जनशाल से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये थे ! और देवनारायण जी की माता सेढू खटाणी उस समय गर्भवती थीं इसीलिए वो अपने पीहर देवास (मध्य प्रदेश) जा रही थी ! तो रास्ते में मालासेरी के जंगलों (आसींद के पास) माघ शुक्ल 6 संवत् 1243 में देवनारायणजी का जन्म हुआ ! इनके बचपन का नाम उदयसिंह था ! इनकी शिक्षा-दीक्षा देवास (मध्य प्रदेश) में ही हुई !

देवनारायण जी का जीवन यापन (Devnarayan ji Biography in Hindi)

लोक देवता देवनारायण जी की माता पिता की दूसरी पत्नी थी वह अपने पुत्र को राणा दुर्जनसाल से बचाने के लिए मालासेरी को चली गई थी ! वहीँ पर देवनारायणजी ने जन्म लिया था ! और देवनारायणजी के जन्म के बारे में राणा दुर्जनसाल को पता लग गया  ! तो वह उन्हें मारने के लिए सेना को उनके पीछे जाने का आदेश दे दिया ! परंतु देवनारायणजी की माता ने यहाँ से भागने का फैसला किया और वे अपने मायके चली गई ! उनका मायका देवास में था वहीँ पर देवनारायणजी का पालन पोषण हुआ था ओर यही पर गुरु से ज्ञान और तंत्र मंत्र की शिक्षा ली और ! युद्ध कोशल में पूरी तरह से निपूर्ण हो गये थे इसके बाद वह गोठा जाने के लिए एक दम पूरी तरह से तैयार हो गए !
देवनारायण जी ने अपने पिता की हत्या का बदला भिनाय के शासक को मारकर लिया और ! अपने पराक्रम और सिद्धियों का प्रयोग अन्याय का प्रतिकार करने और जनकल्याण में किया ! देवमाली ब्यावर में इन्होंने देह त्यागी देवमाली को बागड़ावतों का गाँव भी कहते हैं !

देवनारायण जी की मृत्यु (Devnarayan ji Death)

देवनारायण जी 31 वर्ष के थे जब उनका देहवसान हो गया था ! कुछ लोगों का कहना है कि वह तिथि जिसमें देवनारायणजी ने अपना देह त्याग किया था ! भाद्रपद की शुल्क पक्ष की सप्तमी के दिन बैकुंठ वासी बने थे !

देवनारायणजी की पूजा और फड़ (Devnarayan ji pooja and phad)

देवनारायण जी को गुर्जर समाज के लोग विष्णु का अवतार मानते है इसी कारण इन्हें आयुर्वेद का ज्ञाता कहा जाता है ! देवनारायणजी के नाम पर देवना फड़ चित्रित की गई देवनारायण जी की फड़ सबसे प्राचीन सबसे लंबी और सबसे छोटी फड़ है ! देवनारायणजी की फड़ बाँचते समय ‘जंतर’ नामक वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है !
देवनारायण जी मात्र ऐसे लोक देवता हैं जिनकी फड़ पर भारतीय डाक विभाग द्वारा 1992 में ‘पाँच रुपए का डाक टिकट’ जारी किया गया था ! इस धाम जोधपुरिया वनस्थली के पास, टोंक में देवनारायणजी मंदिर में बगड़ावतों की शौर्य गाथाओं का संपूर्ण चरित्र चित्रण किया गया है ! देव जी औषधिशास्त्र का भी ज्ञान थे ! इन्होंने गोबर और नीम की औषधि के रूप में प्रयोग के महत्त्व का प्रचार प्रसार किया ! था देवनारायणजी के भक्त इनके नाम के सोने और चांदी के फूल बनवाकर पहनते हैं !

लोक देवता देवनारायणजी का मंदिर वह अन्य जानकारी (Devnarayanji’s Temple)

  • इनके वीर सहयोगी पुरुष माकड़ जी थे ! इनका जन्म मेवाड़ के मगरा में पंवार कुल में हुआ अजमेर की नाग पहाड़ियों में आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी को इनका मेला लगता है !
  • देवनारायण जी का मंदिर आसींद (भीलवाड़ा) में है जहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मेला लगता है !
  • इनके देवरों में देवनारायणजी  की प्रतिमा के स्थान पर बड़ी ईंट की नीम की पत्तियों से पूजा का विधान है ! क्योंकि इन्होंने औषधि के रूप में नीम के महत्त्व को पुनःस्थापित किया !
  • देवमाली, ब्यावर (अजमेर) में भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को देवनारायणजी ने देह का त्याग किया ! देवधाम, जोधपुरिया (टोंक), देवडूंगरी (चित्तौड़गढ़) देवनारायणजी के अन्य धार्मिक स्थल हैं !
मेवाड़ शासक महाराणा साँगा का आराध्य देव देवनारायण जी थे ! इसी कारण देवडूंगरी (चित्तौड़गढ़) में देवनारायणजी का मंदिर का निर्माण राणा साँगा ने ही करवाया था !
वीर देवनारायणजी को राज्य क्रांति का जनक मानते हैं देवनारायणजी ने भिनाय (अजमेर) के शासक को मारकर अपने बड़े भाई ! ‘महेंदु’ को राजा बनाया था !
  • वीर देवनारायणजी पर फ़िल्म बन चुकी है फ़िल्म में देवनारायण जी की भूमिका ‘नाथू सिंह गुर्जर’ ने की थी ! नाथूसिंह गुर्जर बीजेपी के नेता सांसद विधायक और राजस्थान राज्य के मंत्रिमंडल में मंत्री भी रहे हैं !

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