तेजाजी महाराज की कथा

तेजाजी महाराज की कथा
नमस्कार दोस्तों आज हम राजस्थान के प्रसिद लोक देवता वीर तेजाजी और मंदिर खरनाल के बारे में विस्तार से जानेगे 

वीर तेजाजी का जीवन परिचय  Veer Tejaji

वीर तेजाजी को भगवान शिव का ग्यारवा अवतार माना जाता है ! तेजा जी का जन्म 1074 ई. विक्रम संवत् 1131 को नागौर जिले के खरनाल गाँव धौल्या गोत्र के नागवंशीय जाट परिवार में हुआ ! इनके पिता का नाम ताहड़ जी और माता का नाम राज कुँवरी एवं पत्नी का नाम पैमल दे ! था वीर तेजाजी का विवाह अजमेर जिले के पन्हेर गाँव रायचंद्र के पुत्री साथ हुआ था ! तेजा जी को साँपों का देवता, गायों का मुक्तिदाता, काला- बाला का देवता, कृषि कार्यों का उपकारक देवता, धौलिया वीर इन नामों से जाना जाता है !

तेजाजी के संबंध –

  • वीर तेजाजी – भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार
  • जन्म – 1074 ई. विक्रम संवत् 1131 को
  • जन्म स्थान – खरनाल गाँव
  • पिता का नाम  – ताहड़ देव जाट
  •  माता का नाम  – रामकंवरी
  •  बहन – राजल
  • जीवनसाथी – पेमल
  • सवारी – लीलण (घोड़ी)
  • अस्त्र – भाला

वीर तेजाजी का जीवन परिचय veer taja ji  Biography hindi

एक बार वीर तेजाजी की माँ ने तेजा जी को आदेश दिया कि हल लेकर खेत जोतने के लिए जाओ ! माँ की आज्ञा के अनुसार तेजा हल लेकर खेत में चले गये और दिनभर हल जोतता रहा ! लेकिन दिन में उसके लिए घर से खाना नहीं आया जब साम होने लगी तब उनकी भाभी उनके लिए रोटी लेकर खेत पर पहुँची ! तो वीर तेजाजी ने कहा, कि इतनी देरी से क्यों आई हो? तो उनकी भाभी ने झूठ बोला की घर के काम में देरी हो गई ! और रोटी देने के लिए बच्चों को रोता छोड़ कर आई हूँ ! तेजा जी को उनके झूठ पर गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा कि ने भोजन को पक्षियों को डाल दो ! भाभी को वीर तेजा जी का गुस्सा अच्छा नहीं लगा और कहा कि इतना क्रोध किस पर दिखा रहे हो !
मैं पराई स्त्री हूँ अपनी पत्नी को तो पीहर छोड़ रखी है जो बाप का काम करती है और मुझसे कड़वा बोलते हो ! वह भाभी की बात सुनकर घर पहुँचकर अपनी घोड़ी लीलण को कसकर ससुराल पन्हेर के लिए चलने लगे ! तभी अपशगुन हुआ तो ज्योतिषी को बुलाकर पूछा गया !
ज्योतिषी ने बताया की इस यात्रा में तेजाजी की मृत्यु होगी ! माँ ने उन्हें रोका किन्तु वे नहीं रूके और चले गये ! जब वे अचानक ससुराल पहुंचे तो उनकी सास गाय का दूध निकाल रही थी तो गाय ने दूध की बाल्टी के लात मार दी ! उनकी सास ने बिना देखे ही उनको गालियाँ देने लगी इस पर तेजाजी गुसा होकर लौटने लगे ! तभी वीर तेजाजी की पत्नी पैमल ने उन्हें पहचान लिया और उन्हें रोकने के लिए अपनी सहेली लाछां गुर्जरी को भेजा !

लाछां गुर्जरी की गायों के लिए वीर तेजाजी का मीणाऔ से यूद्ध (Veer Tejaji’s fight with Meena for the cows of Lachhan Gurjari)

लाछां (हीरा) ने उन्हें ससुराल वापस चलने को कहा परन्तु वीर तेजाजी ने मना कर दिया ! इस पर लांछा गुर्जरी ने उन्हें अपने घर चलने के लिए मना लिया ! उसी रात लाछा गुर्जरी की गायों को मेर के मीणा चुरा ले गए इस पर वीर तेजा जी मीणाओं से गायों को छुड़ाने चले गये ! और मंडावरिया गाँव के पास भीषण युद्ध करके गायें छुड़ा भी लाये लेकिन घर पहुँच कर पता लगा की ! एक गाय का बछड़ा वहीं रह गया इस पर तेजाजी को पुनः युद्ध में जाना पड़ा !
रास्ते में एक स्थान पर आग में एक सॉप जलते हुए देखा वीर तेजा जी ने सर्प को अग्नि से बाहर निकाल दिया ! इससे सर्प उनसे गुसा हो गया और क्रोधित होकर बोला सुणक मोटा सिरदार कर दीनो म्हारी छूटतीजूण बचा म्हाने क्यों बचा लीनो ! इस पर तेजाजी ने जवाब दिया थारी बजादी ज्यान बुरों काम कई किणो तु जस के बदले अपजस किणतर दिनों ! इस परा सर्प देवता क्रोधित हो फुफकारने लगा उनको डसने की बात कही लेकिन तेजा जी ने कहा कि ! अभी मैं गाय के बछड़े को बचाने जा रहा हूँ ! वहाँ से लौट आऊँ तब मुझे डस लेना ! वीर तेजा जी को सर्प देवता ने जाने दिया ! वचन देकर बछड़े को बचाने चल गये इस बार तेजाजी युद्ध में गंभीर रूप से घायल हो गए !

वीर तेजाजी अपने वचन को निभाने द्रवित नागराज के पास आये (Veer Tejaji came to Dravit Nagraj to fulfill his promise)

बछड़े को मीणाओ से छुड़ाकर लाछां के पास छोड़कर वह सर्प के पास पहुंचे मीणाओ से लड़ते हुए वह काफी गायल हो गये ! और उनके अंग से खून निकल रहा था सर्प उनका  इंतजार कर रहा था ! मीणाओ से लड़ते हुए तेजाजी का शरीर क्षत- विचत्त वीर तेजा जी के सम्पूर्ण शरीर पर घाव देखकर ! उसने डसने से मना कर दिया, लेकिन वीर तेजाजी वचन के पके थे उन्होंने कहा कि आपके लिए शरीर का एक सुरक्षित अंग वादे के मुताबिक लाया हूँ ! वहाँ डस लें कहकर अपनी जीभ बाहर निकाल दी ! द्रवित नागराज ने वचनबद्धता के कारण जीभ पर डस
लिया ! डसने से पूर्व उसने यह भविष्यवाणी की कि जहाँ कहीं भी सर्पदंश पीड़ित तेजा जी का स्मरण करेगा या प्रार्थना करेगा !
वह पीड़ित विष से मुक्त हो जायेगा ! इसलिए वीर तेजाजी नागों के देवता के रूप में पूज्य व प्रसिद्ध हो गए ! इनकी मृत्यु के पश्चात् उनकी पत्नी पैमल दे सती हुई थी ! तेजा जी की मृत्यु का समाचार उनकी घोडी लीळण द्वारा उनके घर पहुंचाया गया था !

लोक देवता वीर तेजा जी का मंदिर भांवता अजमेर (Bhanta Ajmer, the temple of folk deity Veer Tejaji)

वीर तेजाजी को अजमेर जिले के ब्यावर कस्बे से 10 किमी. दूर सैंदरिया गाँव में सर्प ने डसा ! तो सुरसूरा (किशनगढ़-अजमेर) में उनकी मृत्यु हुई ! पहले लोक देवता जिन्हें सर्पदंश के इलाज के लिए आयुर्वेद का प्रयोग किया करते थे ! आज भी भांवता (अजमेर) में स्थित तेजा जी के मंदिर में सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति की गौमुत्र से निःशुल्क चिकित्सा की जाती है ! तेजाजी अजमेर जिले के सर्वप्रमुख इष्ट देवता हैं तो उनकी कर्मस्थली दुगारी गाँव (बूंदी) है !

तेजाजी खरनाल मंदिर Veer Tejaji Kharnal Temple

वीर तेजा जी का खरनाल में मंदिर यह लोक देवता तेजा जी की जन्म भूमि है,खरनाल गांव में वीर तेजाजी का भव्य मंदिर बना हुआ है ! यहां पर भाद्रपद महीने की दशमीं को खरनाल में तेजा जी का विशाल मेला भरता है ! यहां पर अनेक श्रद्धालु लोक देवता वीर तेजा जी के दर्शन करने के लिए गाजे बाजे के साथ आते हैं ! अधिकतर जाट जाति के लोग आते हैं नागौर अजमेर मैं तेजाजी को इष्ट देवता के रूप में पूजा जाता है ! दसवीं की रात को यहां पर विशाल तेजा गायन होता है जिसमें मुख्य अतिथि हनुमान बेनीवाल और अन्य मंत्री वीर तेजा जी के दर्शन करने के लिए आते हैं !
  •  इस दिन घोड़ों की दौड़ की प्रतियोगिता रखी जाती है ! अगरआप कभी नागौर जाते हैं तो वहां पास स्थित खरनाल गांव में श्री तेजाजी के दर्शन करने के लिए जरूर पधारें !
  • खरनाल गांव से एक 2 किलोमीटर दूर तेजाजी के बहन बूंगल बाई का मंदिर है !

तेजा जी कृषि के देवता है Veer Tejaji maharaj

वीर तेजाजी को कृषि के देवता के रूप में मानते है और किसान हल जोतते वक्त तेजाजी की जीवनी गाता है !
  • सुरसरा (अजमेर) में इनका मंदिर था जिसकी मूर्ति को मारवाड़ के महाराजा अभयसिंह के काल में परबतसर का हाकिम परबतसर (नागौर) ले गया ! तब से तेजाजी का प्रमुख स्थल परबतसर (नागौर) में स्थापित हो गया !
  • तेजाजी के नाम पर परबतसर नागौर में प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्लपक्ष दशमी को राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है ! सहरिया जनजाति का अराध्य देव-वीर तेजाजी जिनके नाम पर बारां जिले में ! सीताबाड़ी (सहरिया जनजाति का कुंभ) तेजाजी का मेला आयोजित किया जाता है !

ये भी जानें

  • वीर तेजाजी के प्रिय भक्त (जो साँपों का जहर चूसते हैं)  घोड़ला कहते है !
  • घोड़ी का नाम लीळण (जिसने तेजाजी की मृत्यु का संदेश पहुँचाया) ( लीळण सिणगारी)
  • पूजा स्थल (जो खुले चबूतरे पर स्थित गाई होता है) को ‘थान’, इनका प्रतीक चिह्न ‘तलवार धारी अश्वारोही योद्धा’ (जिसकी जीभ को साँप डस रहा है !
  • तेजाजी का गीत तेजाटेर कहलाता है !

 

1 thought on “तेजाजी महाराज की कथा”

  1. वीर तेजाजी जिनको मिला था सांपों का एक श्राप जिन्होंने बदल दी लाखों लोगों की जिंदगी

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