डॉ राम मनोहर लोहिया – Dr. Ram Manohar Lohia

डॉ राम मनोहर लोहिया - Dr. Ram Manohar Lohia
डॉ राम मनोहर लोहिया
जन्म 23 मार्च 1910,
फैजाबाद (अकबरपुर गांव)
पिता का नाम हीरालाल
माता का नाम चंदा देवी
जन्म स्थान फैजाबाद जिले (अकबरपुर गांव)
मृत्यु 12 अक्टूबर 1967

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भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में डॉ राम मनोहर लोहिया का महत्वपूर्ण योगदान तथा इनकी जीवनी तथा इनके समाजवाद की स्थापना –

डॉ राम मनोहर लोहिया (23 मार्च, 1910 – 12 अक्टूबर, 1967) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानी, प्रखर चिन्तक तथा समाजवादी राजनेता थे।

जीवन परिचय :-

जन्म :-

राम मनोहर का जन्म 23 मार्च 1910 में हुआ था। इनका जन्म फैजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था।

माता पिता का नाम :-

राम मनोहर पिता का नाम हीरालाल तथा इनकी माता का नाम चंदा देवी का था।

प्रारंभिक शिक्षा :-

राम मनोहर का परिवार सन 1920 में मुंबई आ गया था। यहां पर राम मनोहर लोहिया का दाखिला मारवाड़ी हाई स्कूल में करा दिया गया था। इसके बाद सन् 1925 में राम मनोहर लोहिया ने प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा उतीर्ण की थी। इसके बाद इनका दाखिला बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में करवा दिया गया था। यहां से सन 1927 में इन्होंने इंटर कॉलेज की पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद इन्होंने कोलकाता की शिक्षण संस्थान विद्यासागर महाविद्यालय में दाखिला लिया था। तथा सन् 1929 में इस महाविद्यालय से बीए की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद बर्लिन के हुम्बर्ट विश्वविद्यालय से 1923 में “नमक का अर्थशास्त्र” विषय पर शोध प्रबंध लिखकर डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी। सन 1933 में राम मनोहर लोहिया जर्मनी से भारत लौट आए थे।।

चार प्रमुख गांधीवादी विचार :-

डॉ राम मनोहर लोहिया शुरुआत से ही गांधीवादी विचारों से प्रभावित थे।

  1. सत्याग्रह।
  2. साध्य और साधन
  3. छोटी मशीन प्रौद्योगिकी
  4. राजनीतिक विकेंद्रीकरण।

इन से प्रभावित होकर राम मनोहर लोहिया ने समाजवाद की स्थापना की थी। डॉ राम मनोहर लोहिया ने समाजवाद को परिभाषित करते हुए कहा कि ऊचो के बारे में क्रोध भी समाजवाद नहीं है। और नीचे के बारे में अलगाव भी नहीं। शोषण के विरुद्ध में क्रोध और छोटों के प्रति करुणा का नाम समाजवाद है।राम मनोहर ने समाज में पूंजीवाद व्यवस्था को खत्म कर समाजवाद की स्थापना करने के लिए प्रयास किया था।

डॉ राम मनोहर लोहिया का समाजवाद :-

समाज में समता और स्मृद्धि पर आधारित था। इनका मानना था कि आर्थिक बराबरी होने पर जाति व्यवस्था अपने आप खत्म हो जाएगी। इसके साथ ही समाज में आर्थिक बराबरी होने पर सामाजिक बराबरी स्थापित होगी। राम मनोहर लोहिया ने तर्क दिया कि जाति व्यवस्था के खात्मे के लिए सामाजिक क्षमता पर आधारित विचार जरूरी है। जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई, घृणा से नहीं बल्कि विश्वास के जरिए करनी चाहिए।

डॉ राम मनोहर लोहिया की सप्त क्रांति :-

राम मनोहर ने देश में नाइंसाफ तथा गैर बराबरी को समाप्त करने के लिए सप्त क्रांति प्रारंभ की थी। इस क्रांति में पुरुष और महिलाओं में समानता, रंगभेद को खत्म करना तथा जन्म और जाति आधारित भेदभाव को खत्म करना, विदशी जुर्म का खात्मा करना, विश्व सरकार का निर्माण, आर्थिक समानता का खात्मा तथा हथियारों के इस्तेमाल पर रोक और सिविल नाफरमानी के सिद्धार्थ का समर्थन करना, निजी आजादी पर होने वाले आघात का मुकाबला करना था। हिना प्रमुख मुद्दों को राम मनोहर ने अपनी साथ सप्त क्रांति में रखा था।

डॉ राम मनोहर लोहिया कि समाजवाद की परिकल्पना :-

राम मनोहर समाजवाद का पुराने स्वरूप को ठीक नहीं मानते थे। वह इसको एक बीते हुए युग की बात मानते थे। इस कारण से राम मनोहर ने नव समाजवाद की परिकल्पना की थी। नव समाजवाद के तहत तीन मुख्य आधारभूत पहलु तय किए गए थे। सभी उद्योगो, बैंको और बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया था। पूरे विश्व के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना और एक विश्व संसद की स्थापना करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल किए गए थे।

आर्थिक विचार :-

डॉ राम मनोहर लोहिया का मानना था कि अमीरी गरीबी के आर्थिक असमानता की खाई से सामाजिक अन्याय पैदा होता है। इससे ही सामाजिक व्यवस्था असंतुलित होती है। अन्याय को खत्म करके ही समाज में सामाजिक समानता को स्थापित किया जा सकता है। मनोहर लोहिया ने राजनेताओं के खर्चीले जीवन यापन के तौर-तरीकों पर अंकुश लगाने का भी प्रयास किया था। इन्होंने आय व्यय की सीमा का अनुपात भी निर्धारित करने पर जोर दिया था। इन्होंने सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के ऊपर लगे सीमा कर को भी समाप्त करने के लिए प्रयास किए थे। इनका मानना था कि कोई भी व्यक्ति अपनी जीविका के लिए बिना किसी भेदभाव के कार्य करें।

जनता के प्रति विचारधारा :-

डॉ राम मनोहर लोहिया ने जनता के लिए मूल्य तथा दामबन्दी जैसे महत्वपूर्ण कार्यों का समर्थन किया था। इसके तहत उत्पाद के साधनों के मालिक जनता का शोषण नहीं कर सकते थे। उचित मूल्य पर जनता को जीवन यापन के लिए साधन, सेवक और सामग्री उपलब्ध हो सके। इसलिए इनका समर्थन किया गया था। राम मनोहर का मानना था कि आर्थिक और सामाजिक जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाकर ही इनका समर्थन किया जा सकता है। इसके तहत सरकारी लूट, पूंजीपतियों के मुनाफे और बड़े किसानों के हितों पर प्रहार किया जाना चाहिए। इस शोषण से बचने के लिए बंदूकधारी सेना की तरह ही,अन्न और भू-सेना का गठन किया जाना चाहिए।

राजनीति के प्रति विचारधारा :-

डॉ राम मनोहर लोहिया मानते थे कि जो लोग यह कहते हैं कि राजनीति को रोजी-रोटी की समस्या से अलग रखो। तो यह कहना उनकी बेईमानी है। राजनीति का प्रमुख उद्देश्य और अर्थ, लोगों का पेट भरना है। जिस राजनीति से लोगों को रोटी नहीं मिलती तथा उनका पेट नहीं भरता। वो राजनीति भ्रष्ट, पापी और नीच राजनीति है। राम मनोहर कांग्रेस के तौर तरीकों से काफी घृणा करते थे।

भारत की आजादी मैं डॉ राम मनोहर लोहिया का योगदान :-

विश्व में सन 1939 में दितीय विश्व युद्ध शुरू होने का कारण राम मनोहर ने उग्र युद्ध, विरोधो तथा आंदोलनों में अगुवाई कार अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इन आंदोलनों में भाग लेने के कारण सन 1940 में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। तथा 2 साल की सजा दी गई थी। महात्मा गांधी के विरोध करने पर अंग्रेजी सरकार ने सन 1941 में इनको छोड़ दिया गया था।

भारत छोड़ो आंदोलन में डॉ राम मनोहर लोहिया उनकी महत्वपूर्ण भूमिका :-

सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भूमिगत रहकर आंदोलनों को गति देने के लिए राम मनोहर ने काग्रेस रेडियो नामक गुप्त रेडियो की स्थापना की थी। इसके द्वारा ब्रिटिश सरकार के खिलाफ उग्र और उत्तेजक विचारों का प्रचार प्रसार किया जाता था। अंग्रेजों से बचने के लिए राम मनोहर लोहिया नेपाल चले गए थे।

वहां पर जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं के साथ इनको गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन राम मनोहर लोहिया वहां से जेल से फरार होकर वापसभारत लौट आए थे। भारत लौटने के बाद सन 1944 में उन्हें गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया था। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने सन 1946 को इनको छोड़ दिया था। जेल से रिहा होने के बाद सन 1946 में गोवा की मुक्ति के लिए पुर्तगाली सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। इस आंदोलन में इसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था। तथा बाद में छोड़ दिया गया था।

मृत्यु :-

सन 1966 में मनोहर लोहिया बीमार हो गए थे। तो डॉक्टर से पता चला कि इनके गर्दन में भयंकर रोग हैं। 30 सितंबर 1967 को दिल्ली में इनका ऑपरेशन किया गया था। इसके बावजूद भी इनके हालत में कोई सुधार नहीं था। इस कारण से 12 अक्टूबर 1967 को इनका निधन हो गया था।

 

FAQs on Dr. Ram Manohar Lohia

मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि?

मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि 12 अक्टूबर 1967

राम मनोहर लोहिया के अनुसार समाजवाद किसके बिना अधूरा है?

मनोहर समाजवाद का पुराने स्वरूप को ठीक नहीं मानते थे। वह इसको एक बीते हुए युग की बात मानते थे। इस कारण से राम मनोहर ने नव समाजवाद की परिकल्पना की थी।

राम मनोहर लोहिया पुस्तक?

हिंदू बनाम हिंदू

डॉ राम मनोहर लोहिया जयंती?

23 मार्च 1910

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