जीण माता रेवासा गाँव सीकर Jeen Mata ji

राजस्थान के लोक देवियों में जीण माता का नाम बड़े ही गर्व से लिया जाता है ! नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे जीणमाता गाँव रेवासा सीकर के बारे में 

जीण माता रेवासा गाँव सीकर Jeen Mata ji
जीण माता रेवासा गाँव सीकर Jeen Mata ji
  • नाम – जीणमाता Jeen Mata ji
  • मंदिर – रेवासा गाँव
  • जिला – सीकर ( राजस्थान ) भारत
  • मंदिर फोन नंबर – 01576-227346
  • पिन कोड – 332403

जीण माता (सीकर) Jeen mata life introduction in hindi –

पौराणिक इतिहास के अनुसार जीण माता का मूल नाम जवंती बाई है !’रेवासा गाँव’ (सीकर) में हर्ष की पहाड़ी पर जीण माता का भव्य और प्राचीन मंदिर स्थित है ! इस मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान-I के शासन काल में राजा हट्ठड़ द्वारा 1064 ई. में करवाया गया था ! चौहान वंश की कुल देवी जीण धंधराय चौहान की बेटी और हर्ष की बहिन थी ! जीण माता मीणा जाती की कुल देवी और चौहानों की कुल देव ! तथा  शेखावाटी क्षेत्र की लोक देवी और मधुमक्खियों की देवी के नाम से भी जाना जाता है !

ननद भोजाई के बीच लगी शर्त Jeen mata Rewasa dham Sikar –

एक बार जीण माता अपनी भाभी के साथ पानी लेकर घर आ रही थी तो रास्ते में नणद-भोजाई के बीच शर्त लगी ! कि हर्ष पहले किसकी  सिर से मटकी उतारेगा ! नणद-भौजाई दोनों ने कहा कि पहले मेरी मटकी हर्ष उतारेगा 1 पूरे रास्ते में दोनो के बीच यही बहस चलती रही और जब दोनों घर पर पहुँचती हैं ! तो दोनों भाई- बहन के मध्य स्नेह के कारण हर्ष ने पहले बहन जीण के सिर से और फिर बाद में  ! अपनी पत्नी के सिर से मटकी उतारी उस समय तो जीण की भौजाई ने कुछ कहा नहीं ! लेकिन बाद में गाँव की औरतों की बातों में आकर उसने हर्ष से उसकी बहिन जीण को घर से निकालने को कहा !
यह बात जीणमाता ने सुन ली और उसी समय घर से निकलकर तपस्या करने जंगल में चली गईं ! हर्ष को जब इस बात का पता चला तो वह अपनी बहिन जीण को वापिस लाने गया ! लेकिन काफी प्रयास करने के बाद भी जब जीणमाता अपने भाई के साथ वापिस नहीं आई तो हर्ष भी उस पर्वत पर अपनी बहन के साथ तपस्या करने लगा ! उसी समय से यह पर्वत हर्ष पर्वत के नाम से जाना जाने लगा है ! हर्ष शिव की तपस्या करते-करते शिव का गण हर्ष भैरू बन गया था ! और उसकी बहिन जीणमाता के रूप में समा गई और जीण माता के नाम से प्रसिद्ध हुई थी !

जीण माता की आदमकद मूर्ति अष्टभूजा युक्त है मंदिर Jeenmata mandir –

जीण माता के मंदिर परिसर में बकरों के कान की बलि भी दी जाती है यह रस्म केवल प्रतीकात्मक होती है ! उन्हें मंदिर परिसर में वध नहीं किया जाता है ! और जीणमाता जी एक विशेष अवसर पर ढाई प्याला मदिरा का सेवन भी करती है !
राजस्थानी लोक साहित्य में इस जीण देवी का गीत सबसे लंबा है ! वह जीण माता के गीत को कनफटे जोगी केसरिया वस्त्र पहनकर और
माथे पर सिंदूर लगाकर, डमरू और सारंगी पर गाते है ! यह गीत करूण रस से ओत-प्रोत है जो चिरंजा कहलाता है !

जीण माता का चमत्कार Jeen Mata’s Miracle –

  • मधुमक्खियों की देवी है जीण माताजी Jeen Mataji is the goddess of bees 
औरंगजेब जब मंदिरों और मूर्तियों को ध्वस्त करता हुआ जीण माता के मंदिर में पहुँचा तो ! मंदिर से जहरीली मधुमक्खियाँ की सेना प्रकट हुई जिसके आक्रमण से मुगल सेना भाग छूटी ! तब बादशाह ने देवी से माफ़ी मांगी और तब से मंदिर में अखंड जोत के लिए सवा मन तेल देने की व्यवस्था की ! इसके लिए प्रतिवर्ष दिल्ली से सवा मन तेल आता था ! इसी कारण ही जीणमाता को मधुमक्खियों की देवी भी कहा जाता है !

जीण माता का मेला Jeen Mata mela hindi –

जीण माता का मेला चैत्र और आश्विन माह के नवरात्रों में लगता है और साथ ही हर्ष पर्वत पर चतुदर्शी के दिन हर्ष भैंरू का मेला भी लगता है ! माता जीण के मुख्य मंदिर के पीछे एक तहखाने में भामरियामाता ,भ्रमरमाता/भंवरमाता की मूर्ति है ! जिसके सामने किसी वीर का पीतल का धड़ पड़ा हुआ है ! ऐसा कहा जाता है कि यह धड़ पराक्रमी जगदेव पंवार का है जिसने भामरियामाता के सामने अपनी बलि दे दी थी !
जीणमाता की इस मान्यता से प्रभावित होकर मेड़तिया के शासक सालिम सिंह के बेटे महाराजा महेश दान सिंह ने ! नागौर जिले के पुराने कस्बे मारोठ के पश्चिम दिशा में स्थित पर्वत की गुफा के अंदर जीणमाता का एक छोटा मंदिर बनवाया ! छोटा है लेकिन बहुत ही मनमोहक है और जो इस मंदिर को देकता है ! तो वह देखता ही रह जाय ऐसा भव्य मंदिर बनवाया था !

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