राजस्थान के लोक देवियों में जीण माता का नाम बड़े ही गर्व से लिया जाता है ! नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे जीणमाता गाँव रेवासा सीकर के बारे में
![जीण माता रेवासा गाँव सीकर Jeen Mata ji](https://history.takliya.com/wp-content/uploads/2022/02/जीण-माता-रेवासा-गाँव-सीकर-Jeen-Mata-ji.webp)
- नाम – जीणमाता Jeen Mata ji
- मंदिर – रेवासा गाँव
- जिला – सीकर ( राजस्थान ) भारत
- मंदिर फोन नंबर – 01576-227346
- पिन कोड – 332403
जीण माता (सीकर) Jeen mata life introduction in hindi –
पौराणिक इतिहास के अनुसार जीण माता का मूल नाम जवंती बाई है !’रेवासा गाँव’ (सीकर) में हर्ष की पहाड़ी पर जीण माता का भव्य और प्राचीन मंदिर स्थित है ! इस मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान-I के शासन काल में राजा हट्ठड़ द्वारा 1064 ई. में करवाया गया था ! चौहान वंश की कुल देवी जीण धंधराय चौहान की बेटी और हर्ष की बहिन थी ! जीण माता मीणा जाती की कुल देवी और चौहानों की कुल देव ! तथा शेखावाटी क्षेत्र की लोक देवी और मधुमक्खियों की देवी के नाम से भी जाना जाता है !
ननद भोजाई के बीच लगी शर्त Jeen mata Rewasa dham Sikar –
एक बार जीण माता अपनी भाभी के साथ पानी लेकर घर आ रही थी तो रास्ते में नणद-भोजाई के बीच शर्त लगी ! कि हर्ष पहले किसकी सिर से मटकी उतारेगा ! नणद-भौजाई दोनों ने कहा कि पहले मेरी मटकी हर्ष उतारेगा 1 पूरे रास्ते में दोनो के बीच यही बहस चलती रही और जब दोनों घर पर पहुँचती हैं ! तो दोनों भाई- बहन के मध्य स्नेह के कारण हर्ष ने पहले बहन जीण के सिर से और फिर बाद में ! अपनी पत्नी के सिर से मटकी उतारी उस समय तो जीण की भौजाई ने कुछ कहा नहीं ! लेकिन बाद में गाँव की औरतों की बातों में आकर उसने हर्ष से उसकी बहिन जीण को घर से निकालने को कहा !
यह बात जीणमाता ने सुन ली और उसी समय घर से निकलकर तपस्या करने जंगल में चली गईं ! हर्ष को जब इस बात का पता चला तो वह अपनी बहिन जीण को वापिस लाने गया ! लेकिन काफी प्रयास करने के बाद भी जब जीणमाता अपने भाई के साथ वापिस नहीं आई तो हर्ष भी उस पर्वत पर अपनी बहन के साथ तपस्या करने लगा ! उसी समय से यह पर्वत हर्ष पर्वत के नाम से जाना जाने लगा है ! हर्ष शिव की तपस्या करते-करते शिव का गण हर्ष भैरू बन गया था ! और उसकी बहिन जीणमाता के रूप में समा गई और जीण माता के नाम से प्रसिद्ध हुई थी !
जीण माता की आदमकद मूर्ति अष्टभूजा युक्त है मंदिर Jeenmata mandir –
जीण माता के मंदिर परिसर में बकरों के कान की बलि भी दी जाती है यह रस्म केवल प्रतीकात्मक होती है ! उन्हें मंदिर परिसर में वध नहीं किया जाता है ! और जीणमाता जी एक विशेष अवसर पर ढाई प्याला मदिरा का सेवन भी करती है !
राजस्थानी लोक साहित्य में इस जीण देवी का गीत सबसे लंबा है ! वह जीण माता के गीत को कनफटे जोगी केसरिया वस्त्र पहनकर और
माथे पर सिंदूर लगाकर, डमरू और सारंगी पर गाते है ! यह गीत करूण रस से ओत-प्रोत है जो चिरंजा कहलाता है !
जीण माता का चमत्कार Jeen Mata’s Miracle –
- मधुमक्खियों की देवी है जीण माताजी Jeen Mataji is the goddess of bees
औरंगजेब जब मंदिरों और मूर्तियों को ध्वस्त करता हुआ जीण माता के मंदिर में पहुँचा तो ! मंदिर से जहरीली मधुमक्खियाँ की सेना प्रकट हुई जिसके आक्रमण से मुगल सेना भाग छूटी ! तब बादशाह ने देवी से माफ़ी मांगी और तब से मंदिर में अखंड जोत के लिए सवा मन तेल देने की व्यवस्था की ! इसके लिए प्रतिवर्ष दिल्ली से सवा मन तेल आता था ! इसी कारण ही जीणमाता को मधुमक्खियों की देवी भी कहा जाता है !
जीण माता का मेला Jeen Mata mela hindi –
जीण माता का मेला चैत्र और आश्विन माह के नवरात्रों में लगता है और साथ ही हर्ष पर्वत पर चतुदर्शी के दिन हर्ष भैंरू का मेला भी लगता है ! माता जीण के मुख्य मंदिर के पीछे एक तहखाने में भामरियामाता ,भ्रमरमाता/भंवरमाता की मूर्ति है ! जिसके सामने किसी वीर का पीतल का धड़ पड़ा हुआ है ! ऐसा कहा जाता है कि यह धड़ पराक्रमी जगदेव पंवार का है जिसने भामरियामाता के सामने अपनी बलि दे दी थी !
जीणमाता की इस मान्यता से प्रभावित होकर मेड़तिया के शासक सालिम सिंह के बेटे महाराजा महेश दान सिंह ने ! नागौर जिले के पुराने कस्बे मारोठ के पश्चिम दिशा में स्थित पर्वत की गुफा के अंदर जीणमाता का एक छोटा मंदिर बनवाया ! छोटा है लेकिन बहुत ही मनमोहक है और जो इस मंदिर को देकता है ! तो वह देखता ही रह जाय ऐसा भव्य मंदिर बनवाया था !
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जय जीण भवानी जीण माता की जय
Jai Jeen Bhavani
Jisne bhi ye ktha likhi m to bhai pahle khud pta kro ki kahani Thi kya
sorry bhai,
please kuch glty hui to btao
जय जीण भवानी