गोगाजी का जीवन परिचय Gogaji Biography hindi

लोक देवता गोगाजी की जीवनी - Gogaji Biography in hindi

नमस्कार दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम लोक देवता गोगाजी की सम्पूर्ण जीवनी के बारे में जानेंगे। इस पोस्ट में लोक देवता गोगा जी Gogaji से सम्बंधित सभी आवश्यक विषयों पर चर्चा की गयी है, जैसे गोगाजी का इतिहास, गोगा जी का मंदिर, गोगा जी का युद्ध और मृत्यु आदि।

लोक देवता गोगाजी की जीवनी Gogaji Biography in hindi

जन्मसंवत् 1003 ददरेवा (चूरू)
जन्म वंसनागवंशीय चौहान
पिता का नामजेवर सिंह
माता का नामबाछल
गुरु का नामगोरखनाथ जी
पत्नी का नामकेलमदे
Gogaji Biography in hindi

लोक देवता गोगाजी को नागों के देवता और जाहरपीर, हिंदु धर्म में नागराजजी का अवतार, मुस्लिम धर्म में गोगापीर इन नामों से जाना जाता है! कर्मसिंह गोगा जी कि 17वीं पीढी में हुए थे ! जिन्हें मुसलमानों ने बलपूर्वक मुसलमान (कायमखानी मुसलमान) बनाया था , जिनके वंशज आज गोगा जी को अपना पूर्वज मानते हैं !

गोगाजी का जीवन परिचय biography of gogaji hindi –

जन्म से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार गोगाजी की माता बाछल की शादी के कई वर्षों बाद संतान नहीं हुई ! कई देवी-देवताओं की शरण में जाने के बाद उनके परिवार के इष्ट देव गुरु गोरखनाथजी के आशिर्वाद व खाने को दिए हुए ! सुगंधित पदार्थ गुगल से गोगा जी का जन्म हुआ ! इसीलिए इनका नाम गोगा गुरु गोरखनाथ के आशिर्वाद होने के कारण ! गो तथा गाय माता का प्रथम अक्षर गा को सम्मिलित कर गोगा रखा गया था !
गोगाजी के जन्म से पहले बाछल की ननद को भाभी पर शंका थी ननद ने अपने भाई के कान गलत गलत बातों से भर दिए ! और जेवरजी ने अपनी पत्नी की भर्त्सना की और निर्दोष पत्नी को मायके बैलगाड़ी में बिठाकर पहुँचा दिया ! रास्ते में गोगा जी ने माँ के उदर में प्रार्थना की कि मेरा जन्म पितृगृह में ही होना चाहिए ! नही तो मैं नाडिया कहलाऊँगा इसी बीच बैलगाड़ी के एक बैल को साँप ने काट लिया ! बाछलजी को वापस ‘ददरेवा’ (चुरू) आना पड़ा जहाँ पर वीर गोगा जी का जन्म हुआ !

गोगाजी का विवाह gogaji’s marriage –

गोगा जी की पत्नी का नाम ‘केमल दे’ था जिसे विवाह के समय एक सर्प ने काट लिया था ! इससे क्रोधित होकर गोगाजी ने आग पर कढ़ाई में तेल डालकर मंत्रों का उच्चारण शुरू कर दिया ! जिससे संसार के सभी सर्प आकर गर्म कढ़ाई में गिरने लगे ! तब सांपो के रक्षक तक्षक नाग ने गोगा जी से माफी माँगी और केमल दे का जहर चूस चूस कर वापिस जिवित किया ! सर्पो के देवता के रूप में पूज्य होने का आर्शिवाद भी दिया!

गोगा जी की वीर गति (ददरेवा चुरू) Death of Goga ji Dadreva Churu –

गोगाजी Gogaji की मृत्यु के संबंध में कहा जाता है इनके चचेरे भाई अर्जुन-सर्जुन ने भूमि बंटवारे को लेकर हुए विवाद के कारण ! इनके इलाके की सारी गायों को घेर कर मुस्लिम आक्रांता गजनवी को दे दी ! जिस कारण गोगा जी गाँयों को बचाने गये इस पर गोगाजी ने अपने 47 पुत्रों और
60 भतीजों के साथ ‘चिनाब नदी पार कर गजनवी से युद्ध कर के गायों को मुक्त करवाया ! महमूद गजनवी ने इनके युद्ध शोर्य को देखकर इन्हें जाहरपीर या जिंदा पीर कहा था !
लेकिन वापस आने के बाद इनके चचेरे भाईयों ने इनसे युद्ध किया जिसमें ये वीर गति को प्राप्त हुए थे ! अन्य इतिहास के अनुसार गोगा जी ने अपने चचेरे भाई अर्जुन-सुर्जन के साथ भूमि विवाद पर युद्ध करते हुए वीरगति पाई थी !
युद्ध में लड़ते हुए उनका शीश ददरेवा (चुरू) में गिरा इसी कारण इसे ! शीर्षमेड़ी (ददरेवा तालाब की मिट्टी से सर्पदंश का जहर उतारने की ऐसी लोकमान्यता है !) और कपन्ध (बिना शीश का धड़) गोगामेड़ी (नोहर-हनुमानगढ़) में गिरा इसी कारण इसे धुरमेड़ी कहते हैं !

गोगा जी का पौत्र सामंत चौहान

गोगाजी का पौत्र सामंत चौहान उनके जैसा ही था ! उसने गजनवी की सेना को अनेक बार धूल चटाई और सोमनाथ मंदिर पर हुए आक्रमण को विफल बनाने का प्रयास किया ! लोगों ने समझा की वीर गोगाजी की आत्मा है जो गजनवी की सेना से सोमनाथ मंदिर की रक्षा कर रही है ! उसी समय गोगा जी बापा लोकदेवता के रूप में पूजे जाने लगे !
गोगा जी का थान
गोगाजी के चरणों के चिह्न (थान) खेजड़ी के वृक्ष के नीचे होता है, जहाँ मूर्ति स्वरूप एक पत्थर पर सर्प की आकृति अंकित होती है ! गोगा जी के लिए राजस्थान में यह कहावत प्रसिद्ध है !
!! गाँव-गाँव खेजड़ी ने, गाँव-गाँव गोगा जी !!
  • गोगा जी की घोडी नीली घोड़ी जिसे ‘गौगा बापा’ कहते हैं !
और Gogaji की पूजा घरों में मिट्टी का घोड़ा बनाकर अश्वारोही योद्धा के रूप में की जाती है ! गोगा जी के प्रिय भक्त ‘डेरू’ वाद्य यंत्र का उपयोग करते हैं ! और गोगा जी के भक्त नृत्य करते समय नगाड़ा और ढोल वाद्य यंत्र का प्रयोग करते हैं उसे ‘माठ’ कहते हैं !
मारवाडी में यह लोकमान्यता है कि किसान खेत जोतना प्रारंभ करते समय ! हल पर हाली को गोगा राखड़ी (गोगा जी का धागा जिसमें नौ गाँठे होती हैं) बाँधते हैं ! रक्षा बंधन पर बाँधी गई राखियाँ घोड़े के पास रखकर इन्हें लापसी व चूरमा का भोग लगाया जाता है !
गोगा जी राजस्थान के ऐसे लोक देवता है, जिन्हें राजस्थान के अलावा पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, में पूजा जाता है !
गोगा जी के मंदिर व स्थल Temples of Goga ji
गोगाजी का मंदिर गोगामेड़ी/धूरमेढ़ी-नौहर (हनुमानगढ़) में स्थित जहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्ण नवमी (गोगा नवमी) को मेला लगता है ! गोगामेड़ी का निर्माण फिरोजशाह तुगलक के द्वारा मकबरानुमा आकृति में किया गया ! जिसके मुख्य दरवाजे पर बिस्मिल्लाह का चिह्न अंकित है ! लेकिन वर्तमान स्वरूप बीकानेर महाराजा गंगासिंह ने प्रदान किया ! गुरु गोरखनाथ का तपस्या स्थल नौलाब बाग गोगामेड़ी में ही स्थित है !
  • गोगामेड़ी के चारों तरफ जंगल को जो गोगा जी की ‘पणी रोपण’ और ‘जोड़’ के नाम से पुकारा जाता है !
  • लोक देवता गोगा जी की ओल्डी ( झोंपड़ी ) सांचौर (जालौर)-इसकी स्थापना पाटम के दो भाईयों के द्वारा की गई ! और केरियाँ गाँव के राजाराम कुम्हार ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया था !
FAQ’s –
  1. गोगाजी की घोड़ी का नाम क्या था?

    लोक देवता गोगाजी की घोडी का नाम नीली घोड़ी है जिसे ‘गौगा बापा’ कहते हैं !

  2. गोगा जी कौन थे?

    लोक देवता गोगा जी को नागों के देवता और जाहरपीर, हिंदु धर्म में नागराजजी का अवतार, मुस्लिम धर्म में गोगापीर इन नामों से जाना जाता है!

  3. Gogaji को किसका अवतार माना जाता है?

    लोक देवता गोगा जी को नागों के देवता और जाहरपीर, हिंदु धर्म में नागराजजी का अवतार, मुस्लिम धर्म में गोगापीर इन नामों से जाना जाता है!

  4. गोगा जी की ओल्डी कहाँ स्थित है?

    लोक देवता गोगा जी की ओल्डी ( झोंपड़ी ) सांचौर (जालौर) में स्थित है!

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2 thoughts on “गोगाजी का जीवन परिचय Gogaji Biography hindi”

  1. गोगाजी की ऑल्डी सांचौर में कहा पर है सांचौर एक बहुत बड़ी तहसील है और सांचौर में कम से कम 10/15 छोटे छोटे गोगाजी के मंदिर स्थित है
    पर्यटकों के लिए शुलभ हो इसलिए पुरा एड्रेस
    सांचौर में स्थित छोटा सा गांव खिलेरीयों की ढाणी “झोटड़ा” में स्थित है।
    With fhoto

  2. गोगा जी को धरती विराट क्यों हुआ और धरती व्रत कैसे हुआ

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