कैला देवी का जीवन परिचय kaila devi biography

कैला देवी का जीवन परिचय kaila devi biography

कैला देवी का मंदिर राजस्थान के करौली जिले में स्थित कालीसिल नदी के किनारे त्रिकूट पर्वत पर स्थित है ! कैलादेवी पूर्वजन्म में हनूमान् जी की माता अंजनी थी ! और कैला देवी को अंजनी माता भी कहते हैं !

 कलियुगे प्राप्ते कैलोनामा भविष्यति
मम भक्तस्य नामना भात्या कैलेश्वरीत्यहम !!
  • कैला देवी मंदिर फोन नंबर – 07464253213
इसका मतलब अंजनी माता ने स्वयं कहा था कि कलयुग में लोक कल्याणार्थ मेरा प्रादुर्भाव होगा और मुझे कैलेश्वरी नाम से जाना जाएगा ! कैला देवी राजस्थान के करौली जिले के यदुवंशी (यादव) राजवंश की जादोन शाखा की कुल देवी है !

कैला देवी की जीवन कथा kaila devi biography in hindi

ऐसा माना जाता है कि नारद की भविष्यवाणी से डरकर कंस ने अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव को कारागृह में डाल दिया था ! कारागृह में जैसे ही वासुदेव की आठवीं संतान होने की सूचना कंस को मिली तो उसे मारने कंस कारागृह पहुंचा ! और कंस को पता चला की आठवीं संतान लड़की हे ! तो उसे मारने के लिए अपने हाथो में उठाकर एक पत्थर की शिला पर पटकने वाला था ! की वो लड़की कंस के हाथ से छूटकर आकाश में चली गई और ! हंसकर बोली की दुष्ट कंस तुझे मरने वाला जन्म ले चुका है !  बाद में यही योगमाया कन्या कैला देवी के रूप में त्रिकूट पर्वत पर विराजमान है !
  • माता कैलादेवी ने किया राक्षस नरकासुर का वध (kaila devi hindi)

कैला देवी पौराणिक कथा के अनुसार यह बात है की त्रिकूट पर्वत में घने जंगल थे और जहाँ पर नरकासुर नाम के राक्षस का आतंक फैला बुरी तरह फैला हुआ था ! उस राक्षस के आतंक से बचने के लिए केदारगिरी नामक के साधु ने कैला देवी की तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया ! देवी से प्राथना की इस क्षेत्र को इस दुष्ट रक्षा नरकासुर से मुक्त कराओ ! तो देवी ने प्रसन्न होकर नरकासुर का वध कर किया ! आज भी कैलादेवी के मुख्य मंदिर से आधा किमी. पूर्व में कालीसिल नदी के किनारे एक चट्टान पर कैलादेवी के चरण चिह्न आज भी बने हुए हैं !

कैलादेवी के मंदिर के बारे में प्रचलित कथा (Legends about Kaila Devi Temple)

1114 ई. में केदारगिरी ने कैला देवी की मूर्ति स्थापित की कैलादेवी के मंदिर में कैलादेवी के साथ साथ ! चामुंडा माता की भी  मूर्ति स्थित है ! कैला देवी का मुख कुछ टेढ़ा है जिसके बारे में कहा जाता है ! कि एक बार देवी का एक भक्त देवी के दर्शन हेतु मंदिर गया ! परंतु भक्त को बिना देवी के दर्शन कराए ही वापस भेज दिया गया ! कैलादेवी अपने मूलस्वरूप में से हटकर उस भक्त को जिस दिशा में वह गया था ! उसे निहारने लगी उस दिन से देवी का मुख कुछ टेढ़ा है ! मंदिर के सामने बोहरा भक्त की छतरी है जहाँ पुश्तैनी बीमारियों को बोहरा का पूजारी झाड़-फूंक करके ठीक करता है !
माना जाता है, कि जब तक कालीसिल नदी में स्नान नहीं किया जाता तब तक बोहरा की पूजा नहीं की जा सकती ! लांगुरिया गीत-लांगुरिया ‘लंगूर’ का अपभ्रंश है जो स्वयं हनूमान जी का सूचक है ! कैला मैया हनूमान जी की माँ अंजना देवी का अवतार है ! इसी कारण हनूमान जी को बोल चाल की भाषा में  लंगूर बोलते है और लांगुरिया गीत गाया जाता है !
  • माँ अंजना देवी अग्रवाल जाति की कुल देवी – यहाँ दूर-दूर से अग्रवाल जाति के लोग आते हैं  क्योंकि हनूमान जी अग्रवाल जाति के कुल देवता और उनकी माँ अंजना देवी उनकी कुल देवी है ! कैला गाँव को लौहरा (लहुरा का अर्थ लड़का) गाँव भी कहा जाता है !

 

  • पीतुपुरा गाँव में रहने वाले मीणा जाति के परिवार ने देवी को प्रसन्न किया तब से ये मीणा गोठिया कहलाते हैं !

कैला देवी का मंदिर (Kaila Devi Temple)

कैला देवी (करौली) का मंदिर राजस्थान का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर दुर्गा माता ( आठ भुजाओं में शस्त्र लिए शेर पर सवार) का मंदिर है ! और इस मंदिर की एक अनोखी विशेष बात यह भी है की यहाँ पर कभी भी बलि नहीं दी जाती है !
कैलादेवी मंदिर की प्रमुख विशेषता ‘कनक दंडवत’ है ! कैलादेवी की मूर्ति केदार गिरी नामक योगी ने प्रतिष्ठित कराई ! जबकि मंदिर का निर्माण 1900 ई. में गोपाल सिंह द्वारा करवाया गया !
  • कैलादेवी माता का मेला (kaila devi mata fair)

कैला देवी का प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल अष्टमी को मेला भरता है जिसमें लाखों लोग दर्शनार्थ आते हैं ! और इस मेले को लक्खी मेला भी कहते हैं ! कैलादेवी के मेले में मीणा एवं गुर्जर जाति के लोग ‘घुटकन/लांगुरिया नृत्य’ करते हैं !

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2 thoughts on “कैला देवी का जीवन परिचय kaila devi biography”

  1. JINENDRA KUMAR

    इस में लिखा है की माता का मुंह टेढा है जो की बहुत गलत लिखा है माता का मुंह सही है पर गर्दन थोड़ी झुकी हुई है! ( गर्दन टेढ़ी लिख सकते है )
    जय माता दी

  2. Pushpendra Singh Yaduvanshi

    आपने गलत कहा वर्तमान में रह रहे जादौन राजपूतों का यदुवंश से कोई संबंध नहीं और उनकी कुलदेवी माँ अंजनी हैं।

    कैला माँ कमरिया यदुवंशी, दाऊ वंशज यदुवंशियों की कुलदेवी हैं।

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