हेलो दोस्तों आज हम राजस्थान के उदयपुर जिले के प्रमुख मंदिरो के बारे में जानेगे उदयपुर के मंदिर में कुछ प्रमुख मंदिर है जेसे —
उदयपुर के मंदिर की सूचि Udaipur Temples in hindi
- एकलिंग जी का मंदिर
- अम्बिका देवी का मंदिर
- सास-बहू का मंदिर, नागदा
- जगदीश मंदिर
- स्कंध कार्तिकेय मंदिर
- जावर का विष्णु मंदिर
एकलिंग जी का मंदिर उदयपुर ( Ekling ji’s temple Udaipur ) –
![एकलिंग जी का मंदिर - उदयपुर के मंदिर](https://history.takliya.com/wp-content/uploads/2022/02/एकलिंग-जी-का-मंदिर-उदयपुर-के-मंदिर-scaled.webp)
उदयपुर के मंदिर उत्तर में स्थित नागदा (कैलाशपुरी) पर एकलिंगजी का प्रसिद्ध शिव मंदिर है ! एकलिंग जी मेवाड़ के महाराणाओं के इष्टदेव व कुल देवता है ! महाराणा इन्हें ही मेवाड़ राज्य का वास्तविक शासक मानते थे तथा स्वयं को उनका दीवान कहलाना पसंद करते थे ! इस मंदिर का निर्माण बप्पा रावल ने करवाया था ! मुसलमानों द्वारा नष्ट किए जाने के बाद राणा मोकल ने इसका जोर्णोद्धार करवाया ! मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग पर चार मुख बने हुए हैं ! इनमें से पूर्व के मुख को सूर्य, उत्तर के मुख को ब्रह्मा, दक्षिण के मुख को शिव तथा पश्चिम के मुख को विष्णु माना जाता है !
यह मंदिर राज्य में पाशुपात सम्प्रदाय का सबसे प्रमुख स्थल भी है !
अम्बिका देवी का मंदिर ( Ambika Devi Temple Udaipur ) –
![अम्बिका देवी का मंदिर - उदयपुर के मंदिर](https://history.takliya.com/wp-content/uploads/2022/02/अम्बिका-देवी-का-मंदिर-उदयपुर-के-मंदिर.webp)
उदयपुर मंदिर में स्थित अम्बिका देवी के मंदिर में नृत्य करते हुए गणेशजी की विशाल प्रतिमा स्थापित है ! इस मंदिर को ‘मेवाड़ का खजुराहो’ कहते हैं !
सास-बहू का मंदिर, नागदा उदयपुर ( Saas-Bahu Ka Mandir, Nagda Udaipur ) –
![सास-बहू का मंदिर, नागदा](https://history.takliya.com/wp-content/uploads/2022/02/सास-बहू-का-मंदिर-नागदा--scaled.webp)
मेवाड़ की प्राचीन राजधानी नागदा में स्थित मंदिर मूलतः ‘सहस्त्रबाहु’ (भगवान विष्णु) का है, लेकिन अपभ्रंश होते-होते इसका नाम ‘सास-बहू का मंदिर’ हो गया ! यह मंदिर सोलंकी व महामारू शैली में निर्मित है ! इनमें से बड़ा मंदिर (सास का मंदिर) दस सहायक देव मंदिरों से घिरा हुआ है, जबकि छोटा मंदिर (बहु का मंदिर) पंचायतन प्रकार का है !
उदयपुर में जगदीश मंदिर ( Jagdish Temple in Udaipur ) –
![जगदीश मंदिर - उदयपुर के मंदिर](https://history.takliya.com/wp-content/uploads/2022/02/जगदीश-मंदिर-उदयपुर-के-मंदिर.webp)
इस मंदिर का निर्माण महाराणा जगतसिंह प्रथम ने 1651 ई. में उदयपुर में स्थित सिटी पैलेस के नजदीक पिछोला झील के किनारे करवाया था ! मंदिर में भगवान जगदीश की काले पत्थर से निर्मित 60 इंच (5 फुट) ऊँची प्रतिमा है ! मंदिर के चारों कोनों में शिव-पार्वती, गणपति, सूर्य तथा देवी के चार लघु मंदिर तथा गर्भगृह के सामने गरूड की विशाल प्रतिमा है !
यह गरूड की प्रतिमा विश्व की सर्वश्रेष्ठ प्रतिमा कही जाती है ! पुरी के जगन्नाथ जी भगवान की तरह से यहाँ भी जगदीश भगवान की पूजा की जाती है ! इस मंदिर के शिल्पकार अर्जुन, भाषा एवं मुकुंद है !
मंदिर के गर्भगृह में स्थित मूर्ति किसी भी शिल्पकार के द्वारा बनायी हुई नहीं है ! बल्कि भगवान जगन्नाथ ने स्वप्न में प्रकट होकर महाराणा से कहा, कि मेरी मूर्ति डूंगरपुर के पास शर्वा गाँव के पीपल के पेड़ के नीचे हाथ खुदाई पर मिलेगी ! इसलिए इसे ‘सपने से बना मंदिर’ कहा जाता है !
औरंगजेब के आक्रमण के समय इस ऐतिहासिक मंदिर को नष्ट होने से बचाने के लिए ! ‘नारू जी बारहट’ ने अपने बीस साथियों सहित बहादुरी से मुकाबला कर प्राणोत्सर्ग किए !
स्कंध कार्तिकेय मंदिर उदयपुर ( Skandha Kartikeya Temple Udaipur ) –
तनेसर (उदयपुर) में देव सेना के अधीपति स्कंध एवं शिवजी के पुत्र कार्तिकेय का मंदिर स्थित है ! जिसका निर्माण छठी शताब्दी (गुप्तोतर काल) में किया गया। मेवाड़ का अमरनाथ, गुप्तेश्वर मंदिर-उदयपुर जिला मुख्यालय से 10 किमी. दूर तीतरड़ी-एकलिंगपुरा के बीच ! हाड़ा पर्वत स्थित गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर है ! जो गिरवा के अमरनाथ के नाम से जाना जाता है ! इसको ‘मेवाड़ का अमरनाथ’ भी कहा जाता है !
जावर का विष्णु मंदिर उदयपुर के मंदिर ( Jawar’s Vishnu Temple Udaipur’s Temple ) –
जावर (उदयपुर) में रमानाथ कुंड और भगवान विष्णु के इस मंदिर का निर्माण रमाबाई द्वारा करवाया गया था ! मेवाड़ के शासक महाराणा कुंभा की पुत्री रमाबाई का विवाह जूनागढ़ (गुजरात) के मंडलीक यादवराज से हुआ था ! किंतु वहाँ महमूद बेगड़ा के आक्रमण के बाद धर्म परिवर्तन का दौर चला तो रमाबाई मेवाड़ आ गईं ! वह गुजरात में उन दिनों चले भक्ति आन्दोलन से प्रभावित होकर वैष्णव हो गई थी ! रमाबाई के आग्रह पर तत्कालीन शिल्पी सूत्रधार ईश्वर ने शास्त्रों का शोधन कर यहाँ पंचायतन शैली के इस मंदिर की नींव रखी !
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