Dr Rajendra Prasad Biography in hindi | डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय

Dr Rajendra Prasad image डॉ राजेंद्र प्रसाद फोटो

Dr Rajendra Prasad (3 दिसम्बर 1884 – 28 फरवरी 1963) भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। डॉ राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से  एक थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई।  राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने भारत के पहले मंत्रिमंडल में 1946 एवं 1947 मे कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया था। सम्मान से उन्हें प्रायः ‘राजेन्द्र बाबू’ कहकर पुकारा जाता है।

धर्म28 फ़रवरी 1963
पटना, बिहार,भारत हिन्दू
राष्ट्रीयताभारतीय
जीवन संगीराजवंशी देवी (मृत्यु 1961)
राजनीतिक दलभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
शैक्षिक सम्बद्धताकलकत्ता विश्वविद्यालय
मृत्यु28 फ़रवरी 1963
पटना, बिहार,भारत
Dr Rajendra Prasad Biography in hindi

जीवन परिचय ( Dr Rajendra Prasad ka jivan parichay in hindi ) :-

जन्म :-

डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 ई. में हुआ था। इनका जन्म बिहार राज्य के छपरा जिले के जीरादेई नामक ग्राम में हुआ था।

पिता जी का नाम :-

इनके पिताजी का नाम श्री महादेव सहाय था। इनकी माता जी का नाम कमलेश्वरी देवी था। इनके पिता जी उर्दू और फारसी के बहुत बड़े विद्यवान थे।

प्रारंभिक शिक्षा :-

Rajendra Prasad को एक प्रथा के अनुसार मात्र 5 वर्ष की आयु में ही एक मौलवी को सुपुर्द कर दिया गया था। इस मौलवी ने उन्हें फारसी सिखाई थी। इसके बाद डॉ राजेंद्र प्रसाद को हिंदी और अंकगणित सिखाई गई थी। Rajendra Prasad की प्राराम्भिक शिक्षा उनके गांव जीरादेई में हुई थी। पढ़ाई की तरफ उनका मन बचपन से ही था। इसके बाद अपने भाई महेंद्र प्रताप के साथ पटना के डी. के.बोस अकैडमी में जाने लगे थे। इसके बाद यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता में प्रवेश लेने के लिए परीक्षा भी दी थी। जिसमें वह बहुत अच्छे नंबरों से पास भी हुए थे। इसके बाद उनको इस कॉलेज में दाखिला मिल गया था।

इसके बाद डॉ राजेंद्र प्रसाद को हर महीने ₹30 की छात्रवृत्ति मिलने लगी थी। उनके गांव में पहली बार किसी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया था। यह बहुत बड़े गर्व की बात थी।

कॉलेज के बाद उनकी शिक्षा :-

सन 1902 में डॉक्टर Rajendra Prasad ने प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया था और स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। सन 1960 में यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता से इकोनॉमिक्स से M.A.किया।

सन 1915 में कानून में मास्टर की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्हें गोल्ड मेडल से भी सम्मानित किया गया था। इसके बाद डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कानून में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी। इसके बाद पटना आकर वकालत शुरू करने लग गया था। इससे उनको बहुत नाम मिला था तथा धन की प्राप्ति भी हुई थी। इसके साथ ही राजेंद्र प्रसाद ने अपने आप को देश की प्रभुता, स्वतंत्रता में अपने आप को समर्पित कर दिया।

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का विवाह :-

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का विवाह मात्र 12 वर्ष की उम्र में राजवंशी देवी से हुआ था।

डॉ राजेंद्र प्रसाद का स्वभाव :-

डॉ राजेंद्र प्रसाद, अत्यंत शांत और सरल परवर्ती के धनी व्यक्ति थे। यह सभी वर्गों का सम्मान पूर्वक सम्मान करते थे।

राजनीति में जुङाव ( Dr Rajendra Prasad ka jivan parichay in hindi ):-

बिहार में अंग्रेजी सरकार नील की खेती करते थे। अंग्रेज मजदूरों को उचित मजदूरी नहीं देते थे। सन 1917 में महात्मा गांधी जी ने बिहार आकर इस समस्या को दूर करने की पहल की थी। उसी समय डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद गांधीजी से मिले थे। गांधी जी की विचारधारा से Rajendra Prasad बहुत प्रभावित हुए थे। सन् 1919 में सविनय अवज्ञा आंदोलन की लहर चल रही थी। गांधी जी ने सभी सरकारी नौकरी, कार्यालयों, तथा स्कूलों का बहिष्कार करने की अपील की थी। इस कारण से डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने नौकरी छोङ दी थी।

गांधीजी के करीबी :-

Rajendra Prasad गांधीजी के करीबी थे। चंपारण आंदोलन के दौरान डॉ राजेंद्र प्रसाद गांधीजी के करीबी बन गया था। गांधीजी के प्रभाव में आने के बाद उन्होंने अपनी पुरानी और रूढ़िवादी विचारधारा को पूर्ण रूप से छोड़ दिया था और एक नई विचारधारा के साथ भारत की आजादी में पूरी तरह से जुड़ गए थे। सन् 1931 में कांग्रेस ने आंदोलन छेड़ दिया था। इस दौरान डॉ राजेंद्र प्रसाद को जेल जाना पड़ा था। सन 1934 में उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।

भारत छोड़ो आंदोलन में भूमिका :-

सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने अपनी महत्वपूर्ण सक्रिय रुप से भूमिका निभाई थी।

इस कारण से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था तथा उन्हें नजरबंद करके रखा गया था।

भारतीय संविधान निर्माण में योगदान :-

डॉ राजेंद्र प्रसाद ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के साथ मिलकर संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। Dr Rajendra Prasad को संविधान के प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने हस्ताक्षर करके ही सविधान को मान्यता प्रदान की थी तथा भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 में लागू किया गया था।

भारत के राष्ट्रपति के रूप में डॉ राजेंद्र प्रसाद के कार्य ( Dr Rajendra Prasad ka jivan parichay in hindi ) :-

26 जनवरी 1950 को Dr Rajendra Prasad भारत के प्रथम राष्ट्रपति चुने गये थे।

  1. सन 1957 को दूसरी बार राष्ट्रपति के चुनाव हुए थे।
  2. जिसमें डॉ राजेंद्र प्रसाद को दोबारा राष्ट्रपति बनाया गया था। ऐसा करने वाले वे भारत के सर्वप्रथम व्यक्ति थे।
  3. सन् 1962 तक इस पद पर रहकर उन्होंने देश की सेवा की थी।
  4. सन 1962 में इस पद को त्याग कर पटना चले गए थे और बिहार विद्यापीठ में रहकर जन सेवा का कार्य करने लग गए थे।

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को सम्मान ( Dr Rajendra Prasad ka itihas in hindi ):-

सन 1962 में अपने राजनीतिक और सामाजिक योगदान के लिए Dr Rajendra Prasad को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। डॉ राजेंद्र प्रसाद एक विद्वान, प्रतिभाशाली, दृढ़ निश्चय, उदारपूर्ण दृष्टिकोण के धनी व्यक्ति थे।

Dr Rajendra Prasad की मृत्यु :-

इनकी मृत्यु 18 फरवरी 1963 में हुई थी।

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