मल्लीनाथ जी Mallinath ji का जन्म 1358 ई. को बाड़मेर ( राजस्थान ) जिले के सिवाणा के गोपड़ी गांव में हुआ था इनके पिता रावल सलखा तथा माता जाणिदे थी इनके पांच पुत्र थे सबसे बड़ा बेटा जगमाल बड़ा होने के कारण पाटवी था!
मल्लीनाथ जी के पिताजी के देवलोक गमन के बाद महेवा में अपने चाचा कान्हड़दे के पास जाकर रहने लग गए थे! कान्हड़दे के स्वर्गवास के बाद Mallinathji जालौर के खान की मदद से (1374 ई.) में महेवा के शासक बन गए थे ! 1378 ई. में 13 दलों में बैठकर आक्रमण करने वाली फिरोज तुगलक के मालवा के सूबेदार निजामुद्दीन की सेना को भी परास्त कर दिया था! और मल्लीनाथजी ने सन् 1389 में संत उगमसी माही की शरण में जाकर अपना गुरु बनाया और गुरु दीक्षा प्राप्त की दस वर्ष बाद में !
1399 में इन्होंने मारवाड़ में संतों का एक विशाल भजन कीर्तन करवाया था Mallinathji निर्गुण निराकार ईश्वर में विश्वास रखते थे ! और इन्होंने नाम स्मरण का पुरजोर समर्थन किया था लोक देवता मल्लीनाथ जी के नाम पर जोधपुर के पश्चिम भाग का नाम मालानी पड़ा था ! जिसे वर्तमान में बाड़मेर कहा जाता है ! लगभग सन् 1399 में ही चैत्र शुक्ला द्वितीया को उनका देवलोक गमन हो गया था !
रावल मल्लीनाथ का इतिहास Mallinathji Hisorty in hindi –
पूरा नाम | मल्लीनाथ जी |
जन्म | 1358 ई. |
जन्म स्थान | गोपड़ी गांव ( बाड़मेर ) |
पिता का नाम | रावल सलखा |
माता का नाम | जाणिदे |
पत्नी | रूपांदे |
गुरु का नाम | उगमसी भाटी |
स्वर्गवास | 1399 ई. |
- मारवाड़ में अब भी प्रचलित है लोक देवता मल्लीनाथजी
“तेरे लूंगा भांजिया माले सलखाणी “
लोक देवता मल्लीनाथ जी ने अपनी पत्नी रूपादे की प्रेरणा लेकर उगमसी भाटी से योग साधना की दीक्षा ली थी ! साधना से इनको सिद्ध पुरुष के रूप में ख्याति भी मिली और मल्लिनाथ जी भविष्य को जानने वाले पुरुष थे और उन्हें देवताओं का चमत्कार भी प्राप्त हुआ था 1399 ईस्वी में इन्होंने मारवाड़ के सभी संतो को एक जगह एकत्र करके एक बड़ा वृहत हरिकीर्तन आयोजित करवाया था और इसी वर्ष इनका स्वर्गवास हो गया था !
मल्लीनाथ जी का मेला lock devta Mallinath ji –
लोक देवता मल्लीनाथ जी का मंदिर तथा स्मारक बाड़मेर जिले में तिलवाड़ा गाँव में स्थित है ! यहां पर हरवर्ष चैत्र कृष्ण एकादशी से लेकर चैत्र शुक्ल एकादशी एक बहुत ही विशाल पशु मेला का आयोजन किया होता है ! यह बाड़मेर जिले के तिलवाडा गांव में चैत्र सुदी एकादशी से चैत्र सुदी एकादशी (मार्च-अप्रैल) में आयोजित होता है ! इस मेले में उच्च प्रजाति के गाय, ऊंट, बकरी और घोडों की कर्य विक्रय के लिए लाया जाता है ! इस मेले में भाग लेने के लिए गुजरात से ही नहीं गुजरात और मध्य प्रदेश और अलग अलग राज्य से भी व्यापारी आते हैं !
यहां पर अलग अलग शहरों प्रांतों और गांवों से आए पशुओं का क्रय विक्रय होता है ! मेले में ग्रामीण पहनावा और सभ्यता तथा संस्कृति को देखने देश – विदेश से पर्यटन आते हैं ! मेले के समय मल्लीनाथ जी की समाधि पर हजारों लाखों भक्त श्रद्धालु आते हैं !
- Mallinathji की पत्नी रूपादे का मंदिर तिलवाड़ा से थोड़ी दूरी पर ही माला जाल गांव में है
मल्लीनाथ जी की आरती Mallinathji’s Aarti –
मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे,
पंचम गति का निज सुख लीजे २
मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे,
पंचम गति का निज सुख लीजे २
मिथिला नगरी जन्मे स्वामी २
प्रजावती माँ हैं जगनामी २
मल्लीनाथजी प्रभु की आरती कीजे,
पंचम गति का निज सुख लीजे २
कुम्भराज पितु तुम सम शिशु पा २
कहलाये सचमुच रत्नाकर २
मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे,
पंचम गति का निज सुख लीजे २
मगशिर सुदी ग्यारस तिथि प्यारी २
जन्मे त्रिभुवन में उजियारी २
मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे,
पंचम गति का निज सुख लीजे २
जन्म तिथि में ली प्रभु दीक्षा २
कहलाये प्रभु कर्म विजेता २
मल्लिनाथजी प्रभु की आरती कीजे,
पंचम गति का निज सुख लीजे २
अधिक जानकारी –
People Also Ask About Mallinath ji –
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मल्लिनाथ का जन्म कहाँ हुआ?
मल्लीनाथ जी का जन्म 1358 ई. को बाड़मेर (राजस्थान) जिले के सिवाणा के गोपड़ी गांव में हुआ था!
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मल्लीनाथ जी के गुरु का क्या नाम था?
मल्लिनाथजी के गुरु का नाम उगमसी भाटी था!
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Mallinath ji का जन्म कब हुआ?
Mallinath ji का जन्म 1358 ई. में हुआ था!
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मल्लिनाथ जी का मंदिर कहां है?
लोक देवता मल्लीनाथजी का मंदिर तथा स्मारक बाड़मेर जिले में तिलवाड़ा गाँव में स्थित है ! यहां पर हरवर्ष चैत्र कृष्ण एकादशी से लेकर चैत्र शुक्ल एकादशी एक बहुत ही विशाल पशु मेला का आयोजन किया होता है !
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Mallinath ji के पिता का नाम क्या है?
मल्लिनाथ जी के पिता का नाम रावल सलखा था!
Jay ho bhagwan🙏🙏🙏