जब मथुरा के राज सिंहासन पर राजा उग्रसेन विराजमान थे ! तथा बड़े शुभ अवसर पर महर्षि गर्ग के आदेशानुसार राजा उग्रसेन की पुत्री और कंस की बहन देवकी का विवाह
राजकुमारी देवकी के विदाई का समय आया तो राजकुमार कंस ने वासुदेव के रथ का सारथी बनकर ! उन्हें उनके महल तक पहुंचाने के लिए जा रहे थे
तभी रास्ते में जोरदार बिजली कड़की और आकाशवाणी होती है की, हे पापी मूर्ख कंस जिसे तुम इतने प्रेम से रथ में बिठाकर ले जा रहे उसी देवकी के आठवीं संतान से तेरा सर्वनाश होगा
इस बात को सुनकर कंस ने देवकी को तलवार से मारना चाहा ! लेकिन कुमार वसुदेव ने वचन दिया कि मैं कभी झूठ नहीं बोलता !