नाहरगढ़ फोर्ट: जहां सिपाही विद्रोह के समय यूरोपीय लोगों को रखा गया था

महाराजा सवाई जय सिंह ने नाहरगढ़ किले को बनवाया था। लगभग साल 1868 के आसपास बनकर तैयार हुआ

कहा जाता है कि उस मसय इस किले को गर्मियों के मौसम में अधिक इस्तेमाल किया जाता था। इसे किले को लेकर यह बोला जाता है कि 

राजस्थान का एक मात्र ऐसा फोर्ट है जहां कभी भी हमला नहीं हुआ। साल 1857 के सिपाही विद्रोह के समय कई स्थानीय और यूरोपीय लोगों को इसी महल में हिफाज़त के लिए रखा गया था। 

पहले इस किले को सुदर्शनगढ़ किले के नाम से जाना जाता था लेकिन, बाद में नाहरगढ़ किला नाम रखा गया। 

इंडो-यूरोपियन आर्किटेक्चर के रूप में विख्यात यह महल बेहतरीन संरचनाओं के लिए जाना जाता है। जयपुर के कई शासकों का मंदिर भी इस महल में स्थापित है। 

इस फोर्ट में रानियों के लिए लगभग 12 खास और अद्भुत कमरे बनवाए गए थे। इस महल में दीवान-ए-आम एक ऐसी जगह थी 

जहां अक्सर राजा अपने प्रजा से मिलकर उनका दुःख सुना करते थे। दीवारों पर अलग-अलग चित्र इस और लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इस फोर्ट को जयपुर में सबसे सुरक्षित फोर्ट माना जाता था। 

नाहरगढ़ किले के अंदर सबसे आकर्षित और सबसे प्रसिद्ध माधवेंद्र पैलेस है। कहा जाता है कि इस पैलेस को महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय ने अपने शानदार वापसी के रूप में इसका निर्माण करवाया था।