जैसलमेर किले का निर्माण वर्ष 1156 में भाटी राजपूत राजा रावल जैसल द्वारा किया गया था। 1294 के आसपास, भाटी साम्राज्य को अलाउद्दीन खिलजी (खलीजी वंश के शासक) द्वारा 8 से 9 साल की घेराबंदी का सामना करना पड़ा।
1551 के आसपास रावल लूनाकरण के शासन के दौरान, किले पर फिर से अमीर अली (एक प्रसिद्ध अफगान प्रमुख) द्वारा हमला किया गया था।
जिसके बाद राजा को अपनी बेटी की शादी हुमायूं के बेटे अकबर से करनी पड़ी। इसके बाद किले पर आक्रमण होने से बच गया ओर किले को सुरक्षित बचा लिया गया।
किले की पीली दीवारें, सूरज की किरणों से मानों नहा सी जाती हैं, इस खूबसूरती को देखते हुए भी इस किले का नाम सोनार किला या स्वर्ण किला पड़ा था।
किले में कुछ हवेलियां भी हैं, जिनमें पटवाओं की हवेली, नथमल की हवेली, सलाम सिंह की हवेली शामिल हैं।
कहा जाता है कि भारत में आपको बहुत ही कम फोर्ट मिलेंगे जहां आपको एक साथ राजपुताना और इस्लामी शैली एक साथ दिख जाए।
जैसलमेर का किला दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान में रहने वाला किला है। साथ ही, यह राजस्थान का दूसरा सबसे पुराना किला भी है।
भारत में एकमात्र ऐसा फोर्ट जहां मध्य काल में रोजाना स्थानीय लोगों के लिए दुकानें लगा करती थी, जहां शहर और शहर से आने वाले लोग यहां आकर खरीदारी कर सकते थे।
जैसलमेर फोर्ट के अलावा आप किले के पास की इन खूबसूरत जगहों पर भी घूम कर सकते हैं जैसे - पटवों की हवेली, बड़ा बाग, गड़ीसर झील आदि